दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

पीएम नरेंद्र मोदी के 9 साल डॉक्यूमेंट्री सीरीज एपिसोड 4 इंफ्रास्ट्रक्चर वंदे भारत ट्रेन हाईवे फ्रेट कॉरिडोर – वंदे भारत ट्रेन, फ्रेट कोरीडोर और सुरंगें… पीएम मोदी ने ऐसे किए इंफ्रास्ट्रक्चर का कायाकल्प -दिल्ली देहात से

पीएम नरेंद्र मोदी के 9 साल डॉक्यूमेंट्री सीरीज एपिसोड 4 इंफ्रास्ट्रक्चर वंदे भारत ट्रेन हाईवे फ्रेट कॉरिडोर – वंदे भारत ट्रेन, फ्रेट कोरीडोर और सुरंगें… पीएम मोदी ने ऐसे किए इंफ्रास्ट्रक्चर का कायाकल्प
-दिल्ली देहात से

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रणनीतिक तौर से अहम कश्मीर घाटी को संकेतक से जोड़ने वाली जोजिला सुरंग। कश्मीर के सोनमर्ग में जोजिला सुरंग का ताप सर्दी के मौसम में भी तप रहा है। जोजिला माइन उन बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट से एक है, जिसके जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत का निर्माण कर रहे हैं।

इंफ्रास्ट्रक्चर के पैमाने पर बात करें, तो पिछले साल का बजट और इस साल का बजट आप देखें। मैंने 10 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया है। ये 2014 से 5 उदाहरण अधिक है।

नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री

7 हजार करोड़ रुपये की लागत से बन रही जोजिला सुरंग
जोजिला सुरंग एशिया की सबसे लंबी सुरंग है। ये 7 हजार करोड़ रुपये की लागत से बन रही है। 13.14 किलोमीटर लंबा सुरंग हिमालय के विशाल जोजिला दर्रे से आता है। यह सुरंग कश्मीर को मैसेज में और कारगिल गिल के द्रास कस्बे से दिखता है। इसमें चार पुल और चार सुंरगें हैं। अब तक जोजिला सुरंग के 28 प्रतिशत काम पूरे हो चुके हैं। इससे एक घंटे से ज्यादा की यात्रा कंपोनेंट 20 मिनट की हो जाएगी। सबसे अहम बात ये है कि इस सुरंग से सेना के आने में बहुत सहूलियत हो जाएगी।

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हर साल 10 हजार किलोमीटर हाईवे बन रहा है
भारत हर साल 10 हजार किलोमीटर हाईवे बना रहा है। 100 वंदे भारत ट्रेनों के शहरों को ला रहे हैं। अगले 24 महीनों में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मेट्रो सिस्टम तैयार हो जाएगा। ढुलई के लिए 6 नए कॉरीडोर कारोबार के साथ ही यात्रियों के लिए भी सहूलियत भरा समावेशी। कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर जिस गति से बन रहा है, वैसा ही पहले नहीं दिखा।

भारत को 2025-26 में 5 डॉलर और 2030 तक 7 यात्रियों की इकोनॉमी बनाने के लिए नई सैर, हाईवे, एयरपोर्ट और रेलवे की प्रमुखता है। अनुरेखण इंफ्रास्ट्रक्चर की ये प्रतिक्रियाएँ मिडिल क्लास को शायद सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। इसे पीएम मोदी के प्रशासन के रूप में भी देखा गया है।

आयोग नीति के पूर्व अध्यक्ष और जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत का कहना है, “हम लोगों ने 3 करोड़ लोगों को घर दिए हैं। 3 करोड़ मतलब हमने पूरी ऑस्ट्रेलिया की आबादी को घर दिया है। हम लोगों ने 11 करोड़ शौचालय दिए हैं। यानी जर्मनी की इतनी आबादी में, अलग-अलग लोगों को शौचालय दिया गया है। हमें 24.3 करोड़ पाइप वाटर दिया गया है। ब्राजील की आबादी के हिसाब से लोगों को पानी मिला है। हमने 55 हजार किलोमीटर की सड़क बनाई। 55 हजार का मतलब पृथ्वी के व्यास के लदान का हिसाब है। प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत रूप से निगरानी रखना और उनकी दृष्टि इसकी सफलता के कारण थे।”

ग्रामीण सड़क नेटवर्क की चौड़ाई 7 लाख के पार है
धूम की बात करें, तो ग्रामीण सड़क नेटवर्क की चौड़ाई इस वर्ष 7 लाख 29 हजार किलोमीटर तक पहुंच गई है। पिछले आठ साल में 50 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग बने हैं। ये पहले के आठ साल से दो गुना ज्यादा है। इस साल के बजट में जीडीपी और रेलवे को केंद्र की पूंजी खर्च का लगभग 11 फीसदी हिस्सा मिला है। ये 2014-15 में 2.75 प्रतिशत था। 2014 से पहले करीब 600 किलोमीटर रेलवे लाइन विद्युतीकरण यानी विद्युतीकरण हुआ था। अब इसकी रफ्तार 4 हजार किलोमीटर प्रति वर्ष हो गई है।

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दिल्ली डिकंजेशन का एक प्लान हमारे विभाग ने तैयार किया था। इसमें हम 65 हजार करोड़ के अलग-अलग काम कर रहे हैं। अब तक हम लगभग 25 हजार के काम पूरे करने के लिए हैं।

नितिन गडकरी

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री

पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय कहते हैं, “कई बार दिल्ली या भारत के दूसरे हिस्सों से आने वाले लोग मेरे राज्य में पहले रेलवे स्टेशन या पहले हवाई अड्डे के मनोवैज्ञानिक प्रभाव के बारे में नहीं जानते। मनोवैज्ञानिक तौर पर ये बहुत अहम है। कि मुख्यधारा का हिस्सा जारी किया जाता है।

2024 से पहले देश में होगी 100 वंदे भारत ट्रेनें
2024 से पहले देश के कोने-कोने को पूर्वावलोकन 100 वंदे भारत ट्रेनें। ये भारत में निर्मित सेमी हाई स्पीड और सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रेन हैं। यानी लोकोमोटिव की जरूरत नहीं है। 180 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली ये सबसे तेज रफ्तार ट्रेन हैं।

इंफ्राविज़न फ़ाउंडेशन के संस्थापक और बने ट्रस्टी विनायक चटर्जी कहते हैं, “हम बेहतर, ज़्यादा तेज़ और ज़्यादा साफ़ ट्रेन की खोज में हैं। इसके लिए 400 और वंदे भारत ट्रेन का कार्यक्रम है। इनमें से 100 जल्द आनी चाहिए। भारतीय रेलवे का जो पुनरुद्धार हुआ है, इससे ग्रामीण इलाकों में बहुत असर पड़ा है। लोग इसे देख और महसूस कर सकते हैं।”

पीएम आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय कहते हैं, “रेलवे के लिए जो करने की जरूरत है, वो बहुत जटिल है। और मोटे यात्री खत्म हो जाएंगे। तेजी से बढ़े हुए मालभाड़े से होंगे, यात्रियों के किराए से नहीं।” (ब्लर्व)

फ्रेट कॉरीडोर से बदलकर भारतीयों की यात्रा का अनुभव
जिन 6 धुलाई कॉरिडोर से भारतीयों की यात्रा बदलने वाली है, उनमें से 2 आंशिक रूप से चालू हैं। इनमें से एक मुंबई और दिल्ली के बीच वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर, दूसरा पंजाब और पश्चिम बंगाल के बीच ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर है। ये जल्द ही बन जाएंगे। कहीं न कहीं पूरी तरह से संभावनाएं पर सवारियां कम हो जाएंगी, बल्कि ट्रेनें और तेजी से बढ़ेंगी। सरकार को उम्मीद है कि न्यू फ्रेट कॉरिडोर से माल ढुलई 2030 तक 27 प्रतिशत से 45 प्रतिशत अधिक होगा।

9 साल में एयरपोर्ट की संख्या की संख्या से ज्यादा हुई
भारत में हवाई यात्रा भी बदल रही है। पिछले 9 वर्षों में भारतीय हवाई छवि की संख्या की संख्या से अधिक हो गया है। इंफ्राविज़न फ़ाउंडेशन के संस्थापक और आपके ट्रस्टी विनायक चटर्जी कहते हैं, “यदि आप मध्यम वर्ग की बात करते हैं, तो छोटे हवाई बनाते हैं और क्षेत्रीय दायरा से उनका लाभ हुआ है। अब मध्यम वर्गीय परिवार हवाई यात्राएं कर रहे हैं। ये विकास के ऐसे संकेत हैं। , जो दिख रहे हैं। पीएम मोदी के कार्यक्रम लोगों के जीवन को दिखाते हैं।”

पीएम खुद करते हैं प्रोग्रेस की समीक्षा
प्रगति, इस योजना का एक अनूठा, अवसरवादी, बहुउद्देशीय और बहुस्तरीय मंच है। जिसके प्रमुख स्वयं प्रधानमंत्री हैं। वो रेलवे, सड़क और अन्य जुड़ाव के साथ हर महीने प्रगति की समीक्षा करते हैं। इन परियोजनाओं में एक व्यवस्था है। हर मील का खाका तैयार है।

विनायकर्ज चट्टी वक्तव्य हैं, “आज कल चार स्तरों पर निगरानी होती है। और उद्योग मंत्रालय का एक विशेष समूह है, जो इस पर नज़र रखता है। नीति आयोग को भी परियोजना की विस्तृत समीक्षा करने का काम दिया गया है। ख़ासकर ऐसी प्रविष्टि जिनके लिए या पहुंच की अधिक उम्मीद नहीं है, या फिर उन्हें बंद करने के फ़ैसले इसके अलावा, इसके अलावा अधिकृत और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय भी पहले से अधिक सक्रिय है।”

इन योजनाओं का केंद्र ‘गतिशक्ति’ है। अलग-अलग मंत्रालयों का मंच अब अलग-अलग क्षेत्रों के बीच में असमाज्म बनाने, कमियों और बर्बादियों को रोकने, बेहतर योजना बनाने, अधिग्रहण में तेजी से आने और समय पर परियोजना के पूरा होने का काम देखते हैं। इस मंच पर बेहतर फ़ैसले करने के लिए आंकड़े की 1,600 प्रतिक्रियाएँ हैं। इन्फ्रा पर ज़ोर तो है, लेकिन लोगों ने इस पर सबसे ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है। उन लोगों पर जिनके जीवन में बाधा उत्पन्न होती है, उनके पुनर्वास पर सबसे अधिक महत्व है।

विनायक चट्टी का कहना है, “पुनर्स्थापना और पुनर्वास पर सरकार की एक नीति तय होती है, ऐसे नियम जिनके तहत सरकार विकास पर को, चाहे वो हो या निजी लोगों का ध्यान रखती है। अगर बड़ा बांध बना कर एक गांव डुबो रहे हैं तो ठिकाना, रोज़गार आदि दिए जाएंगे। ये सब वैकल्पिक विकल्प हैं। अब पुनर्स्थापन और पुनर्वास इतना बड़ा नहीं रहा जैसे पहले था।”

दुर्गम और नाज़ुक क्षेत्रों में प्रतिबद्ध भी बड़ी चुनौती बन गया
सरकार के सामने एक चुनौती थी दुर्गम और नाज़ुक क्षेत्रों में विकास परियोजना को ले जाया गया। दरकते हुए ग्लोब पर सुरक्षित तरीके कैसे बनाए जाएं? सरकार की एक अहम परियोजना थी 889 किलोमीटर की चारधाम परियोजना का निर्माण। जिससे ग्राहक भारत के सबसे क्षेत्रों में बने गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तक आसानी से पहुंच सकें। इस परियोजना से यात्रा का समय 40 प्रतिशत तक कम हो जाएगा।

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भारत में दुनिया का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क
भारत में दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क है। यहां रोजाना नए रूट पर मेट्रो लाइन बिछ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में वाटर्टर मेट्रो की शुरुआत की। एक विशिष्ट शहरी ट्रांज़िट सिस्टम की कोच्चि में शुरुआत हुई है, जो किसी सामान्य मेट्रो सिस्टम के समान ही है। इन्फ्रा क्षेत्र की इस सफलता के कई कारण हैं। भारत की बिजली पैदा करने की क्षमता में 22% की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले पांच साल में अक्षय ऊर्जा की क्षमता दोगुनी हो गई है। इंटरनेट कनेक्विटी और डिजिटल संबद्धता भी पिछले पांच वर्षों में कई आधार हैं।

वर्ल्ड बैंक की नई रिपोर्ट में रिपोर्ट जारी की गई है कि तेजी से बढ़ती शहरी आबादी की जरूरतें पूरी करने के लिए भारत को अपने शहरी इन्फ्रा में अगले 15 साल के दौरान 840 अरब डॉलर का निवेश करना होगा। 2036 तक 60 करोड़ लोग भारतीय आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा शहरों में रह रहे हैं, जिससे शहरी सुविधाओं पर कई दबाव पड़ते हैं।

विनायकर्ज चट्टी कहते हैं, “भारत का भू-राजनीति में रुतबा बहुत बढ़ गया है। बैंकिंग प्रणाली में सुधार से कारोबार में आसानी से तो आई है, लेकिन आम चुनावों से पहले मैं देखना चाहता हूं कि वो कौन सी योजना हैं, जो आम आदमी देख सकता है हैं, छू सकते हैं और लाभ उठा सकते हैं?2024 चुनाव के लावारिस से मुझे लगता है कि नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि नल ​​से हर घर में तेजी से पहुंच जाएगी। में से एक है।”

भारत की इन्फ्रा स्टोरी पिछले 9 साल की सबसे शानदार कहानी में से एक है। इतने बड़े पैमानों पर तुरंत जल्दी से काम नई मान्यताएं स्थापित कर रहा है। देश में नए दरवाजे बन रहे हैं, लेकिन सरकार को ये रफ़्तार बनाए रखती है। ताकि विकास के साथ साथ निवेश भी होता रहे और जनता को लाभ मिलता रहे।

सीरीज का पहला 3 एपिसोड आप यहां देख सकते हैं:-

एपिसोड 1- जंप

एपिसोड-2 महिला वाणीकरण

एपिसोड-3 कल्याणकारी योजना

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