दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

भरोस, मेड-इन-इंडिया ऑपरेटिंग सिस्टम, मंत्रियों द्वारा परीक्षित, सुविधाओं के बारे में जानें – एनडीटीवी हिंदी एनडीटीवी इंडिया – अब एंड्रॉइड या आईओएस के भरोसे नहीं, इस देशी ऑपरेटिंग सिस्टम भारओएस के लिए भी चलाए गए एमॉन मोबाइल फोन -दिल्ली देहात से


उन्होंने कहा, “इस सिस्टम को विकसित करने में शामिल सभी को बधाई… आठ साल पहले जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘डिजिटल इंडिया’ के बारे में पहली बार बात की थी, तो हमारे कुछ मित्रों ने उनका जंक उड़ाया था, लेकिन आज, टेक्नोक्रेट, इनोवेटर, उद्योगजगत और नीति निर्माता, और देश के दृष्टिकोण ने भी आठ साल बाद अपना दृष्टिकोण स्वीकार किया है…”

इस मौके पर केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, “इस यात्रा में परेशानी होती है और दुनिया भर में ऐसे कई लोग हैं, जो परेशानी पैदा कर देंगे और नहीं चाहेंगे कि ऐसा कोई सिस्टम पहुंच जाए…”

नया मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बोझ, गोपनीयता और सुरक्षा पर ध्यान देता है। यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो किसी भी स्मार्टफोन का उसी तरह मुख्य चित्र होगा, जैसे Google का बनाया हुआ Android या Apple का बनाया हुआ iOS हैं।

सरकारी और सार्वजनिक प्रणालियों में उपयोग के लिए मुफ्त ओपन- टैबलेट ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित करने के लिए भारओएस को विकसित करने के प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने वित्तपोषित किया है। प्रोजेक्ट के लक्ष्य स्मार्टफोन्स में एलियन ऑपरेटिंग सिस्टम्स में संलग्नता को घटाना और देश में विकसित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना है। स्वदेशी स्वायत्तता तंत्र और आत्मनिर्भरता भविष्य बनाने की दिशा में यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक बड़ी उम्मीद है।

भारोस जॉब्स संबद्ध संस्थाएं कर रही हैं, जो गोपनीयता और सुरक्षा नियम लागू करती हैं, और जिनके लिए Google मोबाइल फोन पर प्रतिबंधित के ज़रिये गोपनीय कम्युनिकेशन के साथ संवेदनशील जानकारी प्रबंधन का तजुर्बा है। ऐसे में निजी क्‍वॉड सेवाओं के माध्‍यम से यूजर के लिए निजी 5जी नेटवर्क तक पहुंचना तय है।

भारोस को जैन्डके ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड (JandKops) द्वारा डिजाइन किया गया था, जिसे भूमध्य सागर द्वारा धारा 8 (लाभ के लिए नहीं) के तहत स्थापित किया गया था कंपनी अधिकार मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन द्वारा विकसित किया गया था। फाउंडेशन को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा अंतरविषयी साइबर-भौतिक संदेश (NMICPS) पर राष्ट्रीय मिशन के तहत वित्तपोषित किया जाता है। यह भारत उन कुछ देशों के प्रतिद्वंद्विता की कोशिश कर रहा है, जिनके पास वर्तमान में ऐसी क्षमता है।

इस भारतीय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम की घोषणा करने के लिए 19 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए आईआईटी मद्रास के निदेशक वी. कामकोटि ने कहा था, “भारो ऐसा मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो भरोसे की छाया पर बनाया गया है, जिसमें उपयोगकर्ता को अधिक आज़ादी देने पर ध्यान दिया गया है, ताकि वे केवल एक ही को चुनकर पर्याप्त उपयोग कर सकें, जो उनके लिए जरूरी हैं … यह नया सिस्टम किसी भी मल्टीमीडिया को उसके मोबाइल फोन पर सुरक्षा और गोपनीयता के बारे में सोचने का तरीका बदलने का मद्दा रखता है…”

उन्होंने यह भी कहा, “आईआईटी मद्रास हमारे देश में भारोस के उपयोग को बढ़ाने के लिए कई अन्य व्यक्तिगत स्थितियाँ, सरकारी दावे, रणनीतिक नज़र और फोकसिंग सेवा के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है…”

भारोस नो डीफॉल्ट वेल्ड (एनडीए) के साथ आता है, जिसका अर्थ है कि किसी को ऐसे कार्यों का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता है, इसलिए वे पेश नहीं होते हैं या जिन पर वे गारंटी नहीं दे सकते हैं। इसके अतिरिक्त, यह तरीके उन कार्यों को उन पर मिशनों पर भी अधिक नियंत्रण देता है, जो उनके डिवाइस पर एक पास होते हैं, क्योंकि इसमें वे केवल उन्हीं को परमिशन दे सकते हैं, जिन पर वे गारंटी देते हैं।

इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को विकसित करने वाले सक्रिय जैन्डके ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड (JandKops) के निदेशक कार्तिक अय्यर के अनुसार, “इसके अलावा, भारओएस ‘नेटिव ओवर द एयर’ (NOTA) अपडेट प्रदान करता है, जो डिवाइस को सुरक्षित रखने में मदद करता है हो सकता है… NOTA सुधार उपकरण पर मालिकाना हक के तरीके से डाउनलोड और दस्तावेज हो जाते हैं, और कार्यभार को लेकर ऐसा कोई देनदार नहीं होता है… यह सुनिश्चित करता है कि डिवाइस हमेशा ऑपरेटिंग सिस्टम का नवीनतम संस्करण चल रहा है, जिसमें नवीनतम सुरक्षा दस्तावेज और बिग फिक्स शामिल हैं… एनडीए, पास और नोटा के साथ, भारओएस यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय फोन पर बने रहें…”

भारोस के ज़रिये संगठन-स्पेसिफिक निजी ऐप स्टोर सेवाएँ (पास) पर विश्वसनीय तक पहुँच जाती हैं। पास उन एक की क्यूरेटेड लिस्ट तक पहुंच प्रदान करता है, जिनकी पूरी तरह से जांच की जाती है और वे संगठन के आकार की सुरक्षा और गोपनीयता की सटीकता पर खरा उतरते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि आपस में कार्यकुशलता हो सकती है कि जो वेबसाइट वे स्थापित कर रहे हैं, वे उपयोग के लिए सुरक्षित हैं।

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