दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

मियामी, सिंगापुर और दुबई ही क्यों जा रहे अरबपति? न्यूयॉर्क, मॉस्को, बीजिंग जैसे बड़े शहर क्यों सामने नहीं आ रहे? -दिल्ली देहात से

मियामी, सिंगापुर और दुबई ही क्यों जा रहे अरबपति?  न्यूयॉर्क, मॉस्को, बीजिंग जैसे बड़े शहर क्यों सामने नहीं आ रहे?
-दिल्ली देहात से

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कोरोना काल ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। कोरोना के कारण हमने जाना कि हम घर से भी आसानी से काम कर सकते हैं। कोई भी आसानी से इंटरनेट की मदद से अपने काम कर सकता है। ऐसे में वर्क फ्रॉम होम लोगों की नजर लग गई है। लोग अब अपनी जिंदगी में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। एक समय था जब अरबपति और उद्योपति आगे बढ़ने के लिए अमेरिका, चीन और कई देशों के बड़े शहरों की तरफ रुख कर रहे थे, मगर अब समय और सागर बदल गया है। अब अरबती और उद्योगपति मायामी, सिंगापुर और दुबई की ओर रुख कर रहे हैं। ये न्यूयॉर्क, मास्को, बीजिंग जैसे बड़े शहर रास नहीं आ रहे हैं।

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देखें ये रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, अरबपति और उद्योपति अपनी जिंदगी को बेहतरीन बनाने के लिए इन तीन शहरों की तरफ रुख कर रहे हैं। इसकी कई वजहें हो सकती हैं। मौसम, जीवन शैली और इंफ्रास्ट्रक्चर। इन तीन कारणों से लोग इन शहरों में ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इन शहरों में खूबसूरत नजारों के अलावा कई सुविधाएं हैं, जो अन्य शहरों से ये अलग बन रहे हैं।

ये 3 शहर बन रहे हैं अरबपतियों का नया ठिकाना

रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड के बाद लोगों को उन सुदूर जगहों पर देखा जा सकता है जहां पर भी आसानी से काम किया जा सकता है। इसके अलावा लोग अब जीवन में तनाव ठीक पसंद नहीं कर रहे हैं। ऐसे में ये तीन शहर सभी मानकों को पूरा कर रहे हैं। यहां क्राइम रेट कम है, सामान ज्यादा हैं। यहां की सरकार उद्योगपतियों को रिजाने के लिए टैक्स पर छूट दे रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में न्यूयॉर्क में रहने वाले अरबपतियों की संख्या 12 फीसदी है। हांकॉन्ग में रहने वाले अरबियों की संख्या 14 प्रतिशत है वहीं मास्को का भी यही हाल है। यहां 15 प्रतिशत अरबपतियों ने शहर छोड़ा है।

सिंगापुर में टैक्स में भारी छूट है तो दुबई में अरबपतियों के लिए गोल्डन वीजा मिल रहा है। रॉकफेलर इंटरनेशनल फाउंडर ब्रेकआउट कैपिटल के संस्थापक इंट्रेस्टिंग शर्मा ने एक लेख में लिखा है- पूंजीवादी शहर अब एक दूसरे से मिल रहे हैं। मुझे बताया गया है कि मायामी-दुबई फ्लाइट का बिजनेस क्लास अब हर रोज फुल रहता है। इसका सीधा संबंध अमेरिकन इंटरप्रेन्योर्स और मिडिल ईस्ट की ऑयल वेल्थ से है। जिंबाब्वे सहित कई और देश हैं जो दुबई की असंभवता को दोहराना चाहते हैं।

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