दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

देश में इस बार सामान्य मॉनसून के आसार, अल नीनो का भी हो सकता है असर -दिल्ली देहात से

देश में इस बार सामान्य मॉनसून के आसार, अल नीनो का भी हो सकता है असर
-दिल्ली देहात से

[ad_1]

नई दिल्ली: देश में इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान है। लेकिन कुछ असर अल नीनो का भी दिख सकता है। हालांकि, अल नीनो का बहुत साफ असर दिखाई देता है, यह अंदेशा नहीं है। उपग्रह से आ रही तस्वीरों पर मौसम विज्ञानियों की नजर है। इस साल जुलाई-अगस्त में अल नीनो की मौजूदगी रह सकती है।

यह भी पढ़ें

अमूमन अल नीनो की वजह से समुद्र की सतह बेहद गर्म हो जाती है और मॉनसून की दिशा और स्थिति पर खासा असर पड़ता है। लेकिन भारतीय सीज़न विभाग को उम्मीद है कि इस साल अल नीनो उतना सख़्त नहीं होगा। वैसे भी भारतीय मंत्र कई कारणों से प्रभावित होता है, अल नीनो से उसका सीधा संबंध नहीं है।

भारतीय मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सोमा सेनरॉय ने एनडीटीवी से कहा, “हमारा पूर्वानुमान है कि अल नीनो रहेगा और हिंद महासागर का जमा स्वरूप होगा। यूरेशियाई बर्फ की चादर भी हमारे लिए अनुकूल है। अल नीनो का प्रभाव तो निश्चित रूप से दिखाई देगा। लेकिन मेरा कहना है कि सिर्फ एक कारक से मॉनसून प्रभावित होता है। ऐसा नहीं होता है। हमारे मॉनसून पर दो-तीन वैश्विक कारक हैं, जो मॉनसून पर प्रभाव डाल सकते हैं। इसमें अल नीनो अनुकूल नहीं है लेकिन भारतीय महासागर अनुकूल अनुकूल है। इन वर्कशॉप फैक्टर द्वारा हमने कहा है कि मॉनसून सामान्य जीवन की संभावना है।”

सीज़न विभाग के अनुसार पिछले 16 मॉनसून सीज़न में अल नीनो होने पर यह देखा गया है कि 9 बार मॉनसून औसत से पकड़ रहा है और बाकी 7 बार मॉनसून नार्मल रहा है। एनडीटीवी से विशेष बातचीत पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एमचंद्र रविन ने कहा, “वो सामान्य मॉनसून की उम्मीद कर रहे हैं। अल नीनो एकमात्र कारक नहीं है जो वैश्विक पवन आरेख को प्रभावित करता है। अटलांटिक नीनो, हिंद महासागरीय जमाव और यूरेशियाई स्नो कवर आदि जैसे अन्य कारक भी जो मानसून को प्रभावित करते हैं। कर सकते हैं।”

साइंस जर्नल में छपे एक नए शोध में दावा किया गया है कि अल नीनो की वजह से 1982-83 और 1997-98 में वैश्विक आय में $4.1 का नुकसान हुआ था और $5.7 का नुकसान हुआ था। शोध में दावा किया गया है कि 21वीं सदी के अंत तक वैश्विक स्तर पर आर्थिक क्षति $84 डॉलर तक हो सकती है।

ये भी पढ़ें:-

आईएनएस विक्रांत पर पहली बार तेजस की सफल लैंडिंग, भारत के लिए बड़ी अरेंजमेंट

INS विक्रांत पर लैंड करते हुए LCA की स्पीड सिर्फ 2.5 सेकंड में तेज कैसे हुई 240 kmph से 0 kmph

आईएनएस विक्रांत ने विदेश के पहले पीएम-ऑस्ट्रेलिया के एंथोनी अल्बनीज का किया स्वागत

[ad_2]