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MP: शहडोल में 2 बच्चियों की मौत का जिम्मेदार कौन? केवल छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई बहुत हुई Ndtv Hindi Ndtv India -दिल्ली देहात से


तीन महीने की रुचि कोल को सांस लेने में परेशानी थी। इलाज के नाम पर उसे 51 बार हॉट ब्लाउज से दागा गया, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई और अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। इस संबंध में रोशनी कोल ने बताया कि बच्ची बीमार होने पर उसने चमनिया को बुलाया। उसने कहा कि लड़की को टैग करना होगा। इस पर उसने कहा कि ऐसा करने से पेटीबाड़ी में मना किया गया है। लेकिन फिर सोचा कि बेटी क्या रो रही है।

शोक, शुभी कोल को भी इलाज के नाम पर 24 बार दागा गया, जिससे उसकी भी मौत हो गई। शुभी के पिता सूरज कोल ने कहा कि बच्ची को निमोनिया हो गया था। वो मेडिकल कॉलेज में 2-3 दिन भर्ती कर रही है, वहां से उसे निजी अस्पताल लेकर गए। वहां भी समझ नहीं आया तो उसे घर लेकर जा रहे थे। इसी दौरान उसने दम तोड़ दिया।

इस घटना के बाद प्रशासन ने सामतपुर और कठोटिया गांव की आशा कार्यकर्ता और सहयोगियों की नौकरी पर कब्जा कर लिया। 8 कर्मचारियों का आवंटन कर दिया और एक डॉक्टर को कारण बताता है कि नोटिस थमा दिया।

कार्रवाई के संबंध में पूछे जाने पर शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शहडोल में लड़की की बदनामी से मौत हो रही है। विधि के अनुसार कार्रवाई होगी। लाडली बहन योजना सिर्फ बहन के फायदों में पैसा नहीं है योजना नहीं है तो परिवार कल्याण में झटकेगी।

शर्मनाक, कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने कहा कि सरकार 5 दिनों में 5000 करोड़ का कर्ज ले चुकी है। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं। ये सरकार का दुर्भाग्य है जो ना बच्चों का ख्याल रख रही है ना आदिवासी भाई-बहनों का।

आप लोगों की सत्यता के लिए एनडीटीवी की टीम कठौतिया गांव पहुंचती है, जहां के सामुदायिक केंद्र पर ताला जड़ा है। रंग-रोगन चटक है, लेकिन अंदर क्रमानुसार। केवल उप स्वास्थ्य केंद्र है, जहां केवल एएनएम कार्यरत हैं। मंगलवार को टीका लगता है। बीमारी में भी 40 किलोमीटर दूर शहडोल जिला मुख्यालय स्थित है, जिसका हायर 100 रुपये है।

रुचि के पिता रोहित कोल ने कहा कि हमारी यहां कोई सुविधा नहीं है। इलाज के लिए दूर ले जाया गया है। कभी अमराहा तो कभी शहडोल। वहीं, ग्रामीण रूकैय्या बाई ने कहा कि जब बीमार होते हैं तो अमराहा या शहडोल जाते हैं। पिछले साल मई में अपने बहू का जन्मतिथि के लिए ले गए थे। वहां भी आशा कार्यकर्ता नहीं आते हैं। मरीज मर जाएं तो मर जाएं।

दागने के कारण मरी शुभी सामतपुर की थी, यहां स्वास्थ्य केंद्र में रंग रोग चल रहा है। ग्रामीण श्यामल कोल का कहना है कि गांव के लोग ईश्वर के भरोसे रहते हैं। नहीं तो शहडोल जाते हैं. दंड रहा तो अमराहा लेकर गए। नहीं तो झोलाछाप के पास। वहीं, ग्रामीण संतोष चौधरी ने कहा कि हमारे यहां अस्पताल की व्यवस्था सही नहीं है। शहडोल या सिंहपुर को छोड़ दिया गया है।

वेटिब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो ग्रामीण स्वास्थ्य के आंकड़े दिए हैं, उनमें मध्य प्रदेश के सबसे अधिक बेरोजगार हैं। यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों के 95% पद खाली हैं।

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