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नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा दर्जी अधिनियम का तरीका जा रहा है, इसके माध्यम से खाता सेटिंग्स से अलग-अलग विकल्प को लागू करते हैं। सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी याचिका में एक मामला होने पर लंबित कार्रवाई के तहत दर्ज करने की याचिका को भी चुनौती दी गई है।
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याचिका में कहा गया है कि जिस व्यक्ति ने अपराध किया है और जिसके खिलाफ पहले ही एफआईआर दर्ज की जा सकती है, उसके खिलाफ अधिनियम के तहत फिर से एफआईआर दर्ज करना, भारत के संविधान के लेखा-जोखा 20 (2) का उल्लंघन है। ये अधिनियम कानून के शासन के विरुद्ध है। याचिका में 60 दिन की पुलिस रिमांड देने के प्रावधान को भी चुनौती दी गई है। शिकायत में आरोप के तहत मामला दर्ज करना, अटकाव की आशंका, जांच और मुकदमे को लेकर संभावित को चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि अधिनियम में यह नियम है कि व्यापकता का आपराधिक इतिहास प्रासंगिक नहीं है और केवल एक मामला प्राथमिकी के लिए काफी हद तक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। जहरीला अधिनियम और अपराध में भेद नहीं करता इसलिए, पुलिस द्वारा इसका सेवन किया जा रहा है। घटना की कुर्की के लिए मजिस्ट्रेट जिला मजिस्ट्रेट अभियोजक और निर्णय लेने वाले दिए गए हैं जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के स्पष्ट उल्लंघन में हैं
याचिका में संपत्ति को अधिग्रहण करने के पुलिस के अधिकार को भी चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि उत्तरजीवी अधिनियम के समानता के अधिकार की कसौटी पूरी तरह से विफल है।
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