दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रणाली कांग्रेस के साहसिक कार्य का परिणाम: कानून मंत्री – न्यायाधीशों की नियुक्ति का तंत्र कांग्रेस के निर्णय का परिणाम: कानून मंत्री -दिल्ली देहात से


केंद्रीय मंत्री ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में बोल रहे थे। हालांकि, भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई। चंद्रचूड़ ने बाद में उसी कार्यक्रम में कॉलेजियम प्रणाली को बचाते हुए कहा, ”हर प्रणाली दोष से मुक्त नहीं है, लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली का ”उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करना है, जो एक आधारभूत मूल्य है”।

रीजीजू ने भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर लंदन में की गई सीवी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो सबसे ज्यादा व्यक्ति बताता है, वही कहता है कि उसे बोलने की अनुमति नहीं है।

रीजीजू ने आरोप लगाया, ”भारत के अंदर और बाहर भारत-विरोधी ताकतें एक ही भाषा का इस्तेमाल करती हैं कि लोकतंत्र में खतरा है, भारत में मानवाधिकारों का अस्तित्व नहीं है। यह भारत-विरोधी गुट जो कहता है, वही भाषा राहुल गांधी भी इस्तेमाल करते हैं।”

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जो कुछ भी कहते हैं, वह ‘एक ही मानदंड तंत्र’ द्वारा ‘जोरदार आवाज’ के साथ प्रचारक-प्रशंसित है। रीजीजू ने कहा, ”भारत के भीतर और बाहर एक ही तंत्र तंत्र काम कर रहा है। हम इस ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को हमारी अखंडता एवं हमारी संप्रभुता नष्ट करने की अनुमति नहीं देंगे।”

उन्होंने कहा कि हाल ही में दिल्ली में एक संगोष्ठी आयोजित की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के कुछ रिटायर जज और कुछ वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद थे और संगोष्ठ का विषय था- ‘न्यायाधीशों की नियुक्ति में नामांकन’। उन्होंने कहा, ”लेकिन पूरे दिन यही चर्चा होती रही कि सरकार किस तरह से न्यायपालिका को अपने नियंत्रण में ले रही है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह भारत के मौजूदा सुप्रीम जज, पूर्व सुप्रीम जज और सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों के साथ एक उत्कृष्ट संबंध रखते हैं। रीजीजू ने कहा, ”सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में- शायद तीन या चार न्यायाधीश और कुछ कार्यकर्ता ऐसे हैं, जो भारत-विरोधी गुट का हिस्सा हैं- ये लोग कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विरोधी दल की भूमिका निभाएं।”

उन्होंने कहा, ”कुछ कानूनी अदालतें भी जाती हैं और कहती हैं कि सरकार पर लगाम हटती है, कृपया सरकार की नीति में बदलाव करें। ये लोग चाहते हैं कि न्यायपालिका विपक्षी दल की भूमिका निभाए, जो संभव नहीं हो सकता है।” उन्होंने कहा कि न्यायपालिका तटस्थ है।

उन्होंने कहा, ”न्यायाधीश न तो किसी समूह का हिस्सा हैं, न उनके किसी समूह से राजनीतिक जुड़ाव है। ये लोग खुले तौर पर कैसे कह सकते हैं कि भारतीय न्यायपालिका को सरकार के आमने-सामने होना चाहिए। यह किस तरह का प्रचार है।”

यह पूछे जाने पर कि ऐसे किन तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई की जा रही है, उन्होंने कहा, ”कार्रवाई की जाएगी, कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। कोई भी बचत सीमा नहीं।” न्यायाधीशों की नियुक्ति के मुद्दों पर, रीजीजू ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति को आरंभ करने और अंतिम रूप देने में न्यायपालिका की कोई भूमिका नहीं है।

उन्होंने कहा, ”यह केवल कांग्रेस पार्टी की मान्यता के कारण हुआ और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह कार्य करना शुरू किया, जिसे कुछ लोग विजिट की संज्ञा देते हैं। उसके बाद कॉलेजियम प्रणाली के अस्तित्व में आई.” उन्होंने कहा कि लेकिन अभी, सरकार की स्थिति बहुत स्पष्ट है कि कॉलेजियम प्रणाली लागू है।

उन्होंने कहा, ”जब तक कोई नई व्यवस्था लागू नहीं की जाती है, हम कॉलेजियम सिस्टम का पालन करेंगे, लेकिन जजों के नियुक्ति संबंधी व्यूअर ऑर्डर से नहीं किया जा सकता है। यह पूरी तरह से जंपिंग (निर्णय) है।”

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(इस खबर को एंडीटीवी टीम ने नाराज नहीं किया है। यह सिंडीकेट से सीधे प्रकाशित किया गया है।)