कानून के अनुसार, ‘रिप्रेसेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ की धारा 8 (3) के तहत अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या इससे अधिक अवधि की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद को सजा सुनाई जाती है। या विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो जाती है। इसके अलावा वह रिलीज के छह साल बाद तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई 2013 को लिलि थामस वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया केस में बड़ा फैसला दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि यदि कोई सांसद, विधायक या विधान परिषद सदस्य किसी अपराध के मामले में दोषी पाया जाता है और उसे कम से कम दो साल की सजा होती है तो वह तुरंत ही संसद, विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता के लिए असम्बद्ध हो जाऊँगा। यानी उनका चुनाव रद्द हो जाएगा और उनका जनप्रतिनिधि नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से अब तक कई नेता अपने पद पर आसीन हुए हैं।
सबसे पहले आर जेडी के सांसद लालू यादव की सदस्यता ली गई थी
सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू होने के बाद सबसे पहले लालू यादव पर इसकी गज की छवि थी। साल 2013 में लालू यादव को करिट घोटाला मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई। इसके बाद उनकी संसद सदस्यता समाप्त हो गई थी। इसके साथ ही उनके चुनाव लड़ने पर रोक भी लग गई। तब से अब तक लालू यादव चुनाव लड़ने के लिए असम्बद्ध हैं।
जदयू के सांसद जगदीश शर्मा को खोया पड़ा पद
बिहार के जहानाबाद से जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के सांसद जगदीश शर्मा को गोड्डा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित करिट घोटाला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा सुनाई थी। कोर्ट ने जगदीश शर्मा को चार साल की सजा और दो लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। इससे उनकी संसद ने आवेदन किया था।
लक्षद्वीप के सोमवार सदस्य पीपी मोहम्मद फैजल के केस कोर्ट में
लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फैजल को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है। इसके बाद उनकी सदस्यता ली गई थी। चुनाव आयोग ने लक्षद्वीप सीट लोकसभा सीट के उपचुनाव की घोषणा भी कर दी थी। लेकिन इसी बीच केरल हाई कोर्ट ने लिप मोहम्मद फैजल की सजा पर रोक लगा दी। अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। फैजल पर कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीएम सईद और मुहम्मद सालिया पर जानलेवा हमला करने का आरोप है।
कांग्रेस सांसद रशीद मसूद को अयोग्य घोषित कर दिया गया था
मेडिकल कॉलेज में सूचना के एमबीबीएस सीट घोटाला मामले में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद काजी रशीद को सजा होने पर उनकी सदस्यता ली गई थी। कांग्रेस ने रशीद को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भेजा था। उन्हें एमबीबीएस सीट घोटाले में दोषी पाया गया था और सन 2013 में कोर्ट ने उन्हें चार साल की सजा सुनाई थी।
फर्जी मामले में सजा मिलने पर दोस्तसेन यादव का सांसद पद गया था
उत्तर प्रदेश की फैजाबाद सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद मित्रसेन यादव को ‘प्रतिनिधित्व ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ के तहत वर्ष 2009 में संसद सदस्यता से हाथ उठाना पड़ा था। उन्हें धोखाधड़ी के एक मामले में सजा होने पर पोस्ट जलाना पड़ा था। मित्रसेन यादव को धोखाधड़ी के मामले में दोषी पाए जाने पर अदालत ने सात साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्होंने संसद की सदस्यता को बेवजह घोषित कर दिया था।
कई लोगों को असम्बद्ध घोषित भी किया गया है
इसके अलावा ‘जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951’ के तहत कई नेताओं की विधानसभा और विधान परिषद सदस्यता लेने के भी कई मामले हैं। ये नया चर्चित मामला आजम खान का है। समाजवादी पार्टी के प्रभावशाली नेता और उत्तर प्रदेश के रामपुर से विधायक रहे आजम खान की सदस्यता ली गई है। आजम खान को पीएम नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी करने के मामले में कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है। इस पर उनकी विधानसभा ने सदस्यता ली।
इससे पहले झारखंड झारखंड के सभी झारखंड विधायक विधायक किशोर भगत, महाराष्ट्र के भाजपा के विधायक सुरेश हलवंकर, महाराष्ट्र के ही विधायक पप्पू कालानी और मध्य प्रदेश के भाजपा विधायक आशा रानी अलग-अलग मामलों में मिलने पर विधायक बने हैं .
गुजरात की धाराओं ने मानहानि मामले में राहुल गांधी को तुरंत जमानत दे दी है। उनसे अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है। तब तक उनकी सजा को एसएमएस कर दिया गया है। अदालत की सजा के फैसले से कानून के तहत उनकी संसद की सदस्यता प्रभावित हुई है। बहरहाल कांग्रेस की ओर से मामले को हाई कोर्ट में ले जाने के संकेत मिले हैं।