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पीयूष गोयल अटैक्स ऑन कांग्रेस आफ्टर प्रोटेस्ट इन पार्लियामेंट ऑन राहुल गांधी डिसक्वालिफिकेशन – कांग्रेस का अब काला जादू हो रहा है सहारा: संसद में विपक्ष के काले विरोध पर बोले पीयूष गोयल -दिल्ली देहात से


नई दिल्ली:

आपराधिक मानहानि मामले (मानहानि का मामला) में दो साल की सजा के बाद राहुल गांधी (राहुल गांधी) की सदस्यता रद्द हो गई है। इसके बाद संसद में सोमवार को निर्णय को लेकर सोमवार को काला विरोध किया। इसमें 17 विपक्षी दल शामिल हुए। सोनिया गांधी भी काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचती हैं। उद्र, विधायक दल के विपक्षी दलों ने 11 अक्टूबर को जमकर ठुमके लगाए। एक सांसद तो एक पखवाड़े का वक्ता ओम बिड़ला के आसन तक पहुंच गया और काले झंडे लग गए। यह देख वक्ता सभा को क्रियान्वित कर चला गया। अब इस पूरे मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कांग्रेस पर फोकस साधा है। गोयल ने कहा- ‘कांग्रेस का मनोबल इतना गिर गया है कि अब वह काले जादू का सहारा ले रहा है।’

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पीयूष गोयल ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ‘आज वो संसद में काले कपड़े पहनकर आए थे। वो कब तक ऐसी छोटी राजनीति करेंगे। ऐसे समय में अब कांग्रेस के पास सिर्फ काला जादू ही रह गया है। कांग्रेस पूरी तरह से जनता की गारंटी खो चुकी है।

गोयल ने कहा, ‘मैं पूछना चाहता हूं कि वो ऐसा करके लोकतंत्र के मंदिर को बदनाम करना चाहते हैं। देश की कानून व्यवस्था को बदनाम करना चाहते हैं। क्या वो राहुल गांधी ओबीसी के लिए जो अपशब्द कहते हैं, उसे उचित सिद्ध करना चाहते हैं?’

स्पीकर ने सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाई
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, ‘कांग्रेस के एक नेता ने बयान दिया। कहा कि राहुल गांधी जुड़ा हुआ है। विषय को खत्म करें। लेकिन ये उनका अभिमान था। उनका व्रत था। उन्होंने जो नहीं जुआ. ऐसी मौका इन लोगों की पहले भी थी। आज भी है और आगे भी रहेगा। स्पीकर ने इस मामले में सिर्फ अपनी जिम्मेदारी निभाई है।

अपील के लिए दिए गए समय पर सही नहीं है
चूंकि आपराधिक मामलों में दो साल या उससे अधिक की सजा दी जाने पर उसी पल हाउस से सदस्यता समाप्त हो जाती है। इसलिए कांग्रेस नेता की अपील का समय न दिए जाने का आरोप सही नहीं है।

पहले भी नेताओं ने सदस्यता ली
पीयूष गोयल ने आगे कहा कि राहुल गांधी से पहले 6 अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेताओं की सदस्यता भी ली है। उस समय न तो इसे लोकतंत्र के खतरे के रूप में बताया गया है और न ही उसके खिलाफ संसद में इस तरह का विरोध किया गया है।

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