फोन अक्टूबर, 2022 में वापस भारत आया था।
नई दिल्ली:
वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी फोनपे ने बुधवार को कहा कि भारत को फिर से अपना ठिकाना बनाने के लिए उसे 8,000 करोड़ रुपये के कर का भुगतान करना पड़ा है। कंपनी ने कहा है कि ऐसा अनुमान है कि वह 7,300 करोड़ रुपये का वरीयता प्राप्त घाटा हो सकता है, हालांकि इसकी अलौकिकता से होने वाले लाभ से लाभ होगा।
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10 अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन करने वाली इस कंपनी ने कहा कि कारोबार के यहां अधिवास स्थापित करने से संबंधित स्थानीय कानून प्रगतिशील नहीं हैं। टेलीफोन के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर निगम ने एक ऑनलाइन सत्र के दौरान कहा कि कंपनी के अधिवास से संबंधित मौजूदा कानून की वजह से कर्मचारियों को ‘एम्प्लोई स्टॉक ओनरशिप प्लान (ईएसओ)’ के तहत कई प्रोत्साहन से हाथ मिला सकना पड़ा है।
कंपनी के सह-संस्थापक और मुख्य तकनीकी अधिकारी राहुल चारी का भी कार्यक्रम मौजूद था। निगम ने कहा, ”यदि आप भारत को अपना अधिवास बनाना चाहते हैं तो नए दृश्यों से बाजार का मूल्यांकन करना होगा और स्वीकार करना होगा। भारत वापस आने की अनुमति पाने के लिए हमारे खाते को करीब 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना पड़ा है। यदि कोई व्यवसाय पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है तो यह उसके लिए एक बहुत बड़ा झटका है।”
उन्होंने कहा कि फोन इस संकेत को इसलिए प्राप्त कर पाए क्योंकि उनके पास वॉलमार्ट और टेनसेंटा जैसी बातें सामने आई हैं। फोन अक्टूबर, 2022 में वापस भारत आया था।
(इस खबर को एंडीटीवी टीम ने नाराज नहीं किया है। यह सिंडीकेट से सीधे प्रकाशित किया गया है।)
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