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खालिस्तानी नेता अमृतपाल सिंह को भारत वापस धकेलने के पीछे Pakistan Spy Agency ISI: रिपोर्ट – अमृतपाल सिंह को भारत वापस कहे के पीछे पाकिस्तान : रिपोर्ट -दिल्ली देहात से


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के सेवक भगवंत मान को धमकी देते हुए यह कट्टरपंथी सिख उपदेशक खुले आम भारत से आश्वासन और खालिस्तान बनाने के बारे में बयान दे रहे थे। साथ ही उसने पूर्व प्रधानमंत्री इंस्पिरेशन गांधी और सर बेअंत सिंह के बारे में बात की, जुर्माने की हत्या कर दी थी।

इंस्पिरेशन गांधी ने अपनी ही सुरक्षा संबंधी गोली से शादी की थी, जबकि बेएंड सिंह की शावक सिंह ने हत्या कर दी थी, जिसने मानव बम के रूप में काम किया था। कट्टरपंथी उपदेशक ने दावा किया कि पंजाब के मौजूदा परिदृश्य में कई विकल्प तैयार किए गए थे।

इस साल के गणतंत्र दिवस पर तरनतारन में रैली हो या मीडिया साक्षात्कार, उन्होंने एकतावाद और खालिस्तान के गठन के फ्रैंक का समर्थन किया।

अधिकारियों ने कहा कि उसने सिख युवकों को डेमोक्रेटिक के रूप में लॉन्च किया हुआ है, जिसके खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का सहारा लेने के लिए उकसाया गया है, ताकि ‘खालिस्तान’ के गठन के ‘अंतिम लक्ष्य’ को हासिल करने के लिए कथित रूप से भेदभाव पूर्ण व्यवहार का विरोध किया जा सके विशेषण।

इसके साथ ही मोगा जिले की सड़क में एक समारोह के दौरान अमृतपाल सिंह ने कहा था कि गैर-सिखों द्वारा संचालित पंजाब के लोगों पर शासन करने का कोई अधिकार नहीं है और पंजाब के लोगों पर केवल सिखों का शासन होना चाहिए।

साथ ही अमृत सिंह 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान मारे गए आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तर्ज पर अपने पहनावे, तौर-तरीकों, सशस्त्र अंगरक्षक धारण और धर्म की ढाल लेकर खुद को पेश कर रहे हैं।

अमृतपाल सिंह अभी भैया है। उस पर आरोप है कि उसके लखबीर सिंह रोडे के साथ संबंध हैं, जो इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन के प्रमुख हैं। रोडे भारत में शर्मिंदगी की आशंका (एक्सप्लोरेशन सहित), नई दिल्ली में नेताओं पर हमले और पंजाब में द्वेष फैलाने का आरोप लगाते हैं।

उसकी हरकतों पर नजर रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि दुबई में रहने के दौरान अमृतपाल सिंह रोडे के भाई जसवंत के संपर्क में थे। आईएसआई के कहने पर पंजाब वापस लौटने के बाद सिंह ने अपना संगठन स्थापित करने के लिए अमृत संचार की मदद ली। उन्होंने कहा कि बाद में उन्होंने ‘खालसा समान’ नाम से एक अभियान की शुरुआत की और अपने संगठन को मजबूत किया।

उसने पंजाब के मुद्दों को भड़काया और धर्म का हवाला देकर सिखों को सरकार के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया।

एक सूत्र ने कहा, ‘समाज के निचले तबके और लक्ष्यहीन युवा सिंह का आसान लक्ष्य बन गए और उन्होंने धर्म के नाम पर भावनाओं का शोषण शुरू कर दिया।’

अधिकारियों ने आरोप लगाया कि सिख युवाओं को धर्म से जोड़ने के लिए अमृत समारोह आयोजित करने के नाम पर उनके प्रयास बेरोजगार युवाओं की एक सेना बनाने का था, जो राज्य का मुकाबला करने के लिए तैयार थे।

उन्होंने कहा कि गुरुद्वारों जैसे पवित्र स्थानों की रेटिंग पर ध्यान नहीं देते हुए, उनकी मूल सेना ने दबे हुए लोगों को दबे और बैठने के लिए कुछ फर्नीचर रखने के लिए दो गुरुद्वारों में अलमारी की।

अधिकारियों के अनुसार, उनका उद्देश्य पंजाब को उग्रवाद के काले दशकों की ओर इशारा करना था, जो बड़े पैमाने पर और कई बलिदानों से दूर हो गया।

अधिकारियों ने दावा किया कि सिंह के नेतृत्व वाले संगठन को पाकिस्तान से धन मिल रहा था।

कट्टरपंथी सिख उपदेशक ने अपने अंकल हरजीत सिंह की मदद से विरासत में पंजाब दे के रिकॉर्ड का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था, इस प्रकार यह एक परिवार द्वारा संचालित संगठन बन गया।

उन्होंने कहा कि तथाकथित उपदेशक फरवरी के आंदोलन के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का इस्तेमाल कर रहे थे और इसे एक तरह की ईशनिंदा माना जाता था।

सिंह के इस कृत्य की पूरे सिख समुदाय ने निंदा की और इस घटना के बाद श्री अकाल तख्तापलट ने एक समिति की और मामले की जांच के आदेश दिए।

अधिकारियों ने आरोप लगाया कि सिंह जत्थेवार अकाल तख्तापलट कर उन्हें चुप रहने की धमकी दी।

सिंह ने एक बयान में कहा था कि अजनाला की घटना ‘हिंसा नहीं’ है और भविष्य में ‘असली हिंसा’ करने की धमकी भी दी थी।

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(इस खबर को एंडीटीवी टीम ने नाराज नहीं किया है। यह सिंडीकेट से सीधे प्रकाशित किया गया है।)