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अगले 5 वर्षों के लिए आयात शुल्क में कोई बदलाव नहीं, जीटीआरआई एनडीटीवी हिंदी एनडीटीवी इंडिया की मांग -दिल्ली देहात से

नई दिल्ली:

सरकार को घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सीमा शुल्क कम से कम पांच साल तक कोई भी बदलाव नहीं करना चाहिए। आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने बजट-पूर्व दस्तावेजों में कहा है। जीटीआरआई ने यह भी कहा कि कलपुर्जों पर आयात शुल्क जारी होना चाहिए, उलट शुल्क के मुद्दों को हल किया जाना चाहिए और कानूनी पचड़े और भ्रम से बचने के लिए सीमा शुल्क को मौजूदा के 25 से घटाकर पांच कर देना चाहिए।

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इसमें कहा गया है कि ये सुझाव जर्नलिज्म वैश्विक माहौल से निपटने के लिए भारत को तैयार करेगा।

संस्थान ने कहा कि दुनिया भर के देश कठिन वैश्विक स्थिति से निपटने के लिए तैयार हो गए हैं और इसके मद्देनजर भारत को पांच साल के लिए (आयत) शुल्क में कोई बदलाव नहीं करने की घोषणा करनी चाहिए। उसने कहा, ”कोई भी बदलाव उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई), चरणबद्ध निर्माण कार्यक्रम और निर्माण शुरू करने के लिए प्रतिबन्ध साबित हो सकता है। सरकार को मनमाने ढंग से मनमाने ढंग से आर्थिक परिदृश्य को स्पष्ट करते हुए हटाया जाना चाहिए।”

जीटीआरआई ने कहा कि सभी इलेक्ट्रॉनिक और जटिल इंजीनियरिंग वाले उपकरण में हजारों कलपुरजे होते हैं और भारत एक सच्चा वी निर्माता तभी बन सकता है जब कलपुर्जों का निर्माण भी यहां पर हो। उसने कहा, ”लेकिन अगर कलपुर्जों पर शून्य शुल्क होगा तो उनका आयात किया जाएगा और इसके परिणामस्वरूप भारत में अंतिम उत्पादन को बस जोड़ने का ही काम होगा। यह काम करने वाली ज्यादातर कंपनियां प्रोत्साहन खत्म होने के बाद हार जाती हैं।”

संस्थान ने कहा कि भारत में शून्य से लेकर 150 प्रतिशत तक सीमा शुल्क के 26 से अधिक झटके हैं जिससे विवाद और कानूनी पचड़े पैदा होते हैं। उन्होंने कहा कि बजट 2023-24 में सरकार को कर निर्धारण को घटाकर पांच तक कर देना चाहिए।

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