दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

मध्य प्रदेश सिहोर जिले के सरकारी स्कूलों को स्थानीय लोगों और शिक्षकों द्वारा स्मार्ट कक्षाओं में अपग्रेड करने में मदद एनडीटीवी हिंदी एनडीटीवी इंडिया – एमपी: बिना सरकारी फंड के सीहोर के हर स्कूल में बना स्मार्ट क्लास, इस कोड से बदलकर पढ़ाई का तरीका -दिल्ली देहात से

मध्य प्रदेश सिहोर जिले के सरकारी स्कूलों को स्थानीय लोगों और शिक्षकों द्वारा स्मार्ट कक्षाओं में अपग्रेड करने में मदद एनडीटीवी हिंदी एनडीटीवी इंडिया – एमपी: बिना सरकारी फंड के सीहोर के हर स्कूल में बना स्मार्ट क्लास, इस कोड से बदलकर पढ़ाई का तरीका
-दिल्ली देहात से

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एनडीटीवी की टीम अकावल्या में ऐसे ही एक स्कूल पहुंचती है। इस प्राथमिक विद्यालय में 90 बच्चे और 3 शिक्षक हैं। गांव के जानकारों और शिक्षकों के सहयोग से यहां बच्चे स्मार्ट बन रहे हैं। इन्हें टीवी के माध्यम से सब कुछ पढ़े जाते हैं। नई जानकारियां दी जा रही हैं। लाइब्रेरी की तस्वीर भी खास है। बच्चों की चौड़ाई के लिए शेल्फ लग जाते हैं, ताकि बच्चे आसानी से पढ़ने के लिए बाहर निकल सकें।

यहां मानने वाले शिक्षिका प्रज्ञा पांडे कहते हैं, ‘बच्चे मौखिक रूप से हर विषय में बोलना सीखा है। ये सबसे बड़ी उपलब्धि है। जब हमारी स्मार्ट क्लास बनी रहती है तो उसे गाना देखकर, खेल के माध्यम से बच्चों में सीखने की गति मिलती है। स्मार्ट क्लास बनने से बच्चे ज्यादा स्मार्ट हो गए हैं।’



स्कूल में दानदाताओं की सूची लगी है
यहां से एनडीटीवी की टीम आगे सोयत हाई स्कूल की तरफ देखें। स्कूल में घुसते ही, वो बोर्ड दिखा रहा है कि शिक्षक कौन हैं, यहां तक ​​कि वहां पदस्थ अधिकारियों की भी सूची है। इन सभी लोगों की वजह से पहली से दसवीं तक का ये स्कूल स्मार्ट स्कूल में निगरानी की जाती है। 200 बच्चे यहां हैं। 5 रेगुलर टीचर और 4 गेस्ट टीचर। यहां के कुछ बच्चों की कॉपी और लिखावट इतनी साफ है कि सोच-समझकर काम करना शुरू कर दिया है।

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क्या कहते हैं छात्र?
9वीं में पढ़ने वाली सोहानी पवार ने बताया, ‘जब ऋतु बर्बाद होती है तो टीवी से पढ़ सकते हैं।’ वहीं, माही यादव ने भी कहा कि टीवी आ गया है तो पढ़ाई रूक नहीं सकती। जल्दी बर्बाद नहीं हो सकता। जो विषय समझ में नहीं आता, उसे यू-ट्यूब पर सर्च करके पढ़ लेते हैं। दसवीं में पढ़ने वाले कार्तिक लोहवंशी ने कहा- ‘पढ़ाई पहली भी होती थी, लेकिन स्मार्ट टीवी आने से पढ़ाई का तरीका बेहतर हो गया है। हम कॉम्पिटिशन की तैयारी कर सकते हैं। मैं इंजीनियर बनना चाहता हूं।’

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शिक्षकों के लिए भी अलग अनुभव
शिक्षकों के लिए भी ये अनुभव अलग है। स्कूल का चार्ज प्रभारी सुनेर सिंह पवार ने कहा, ‘स्मार्ट क्लास बनने से रीडिंग के स्तर में बदलाव आया है। नई चीजें सीखने को मिली हैं। हमारे स्कूल के शिक्षक, लगातार लोग सबने सहयोग दिया है। उनकी मदद से एक-एक क्लास में टीवी लगाया गया है। मैं सभी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।’ वहीं, विकासखंड के बीईओ भूपेश शर्मा ने कहा- ‘हमारे ब्लॉक में 320 स्कूल हैं। 83 स्कूलों में हर क्लास स्मार्ट क्लास हो गई है। ये सभी शिक्षक और दानदाताओं का योगदान हुआ है।’

हायर सेंकडरी स्कूल तो पूरी तरह से बदल गया
बाहर लगे बोर्ड में मेधावी छात्रों की उपलब्धि थी। 11-12वीं के अंदर बच्चे स्मार्ट बोर्ड से पढ़ाई कर रहे थे। यहां 12वीं के बच्चों को रसायन शास्त्र यानी केमेस्ट्री देखने वाले शिक्षक संजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘जब हम केमिस्ट्री की बात करते थे, तो बच्चे बहुत सारी चीजें विजुएलाइज नहीं कर पाते थे। अब जब हम लैब्स के माध्यम से डेमो करते हैं, फिर लैब में प्रैक्टिकल करते हैं तो बच्चों को सब अच्छे से समझ आता है।’

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कहानियां, किस्सों के जरिए पढ़ाई होती है
इसी स्कूल में प्राइमरी के बच्चे भी इन स्मार्ट क्लास की कहानियां, किस के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं। खेलों के जरिए सब कुछ सीख रहे हैं। यहां पढ़ने वाली प्रतिभा उइके डॉक्टर बनना चाहते हैं। राघवेन्द्र यादव इंजीनियर बनना चाहते हैं। दोनों को लगता है कि अब केमिस्ट्री की प्रैक्टिकल वो बेहतर तरीके से समझते हैं।

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पूरे स्टाफ ने किया 2 लाख का कलेक्शन
इस विद्यालय के प्राचार्य शैलेन्द्र लोया ने कहा कि पूरे स्टाफ ने 2 लाख का संग्रह किया है। पूरी कक्षा को पहली से 12वीं तक स्मार्ट क्लास में बदल रहे हैं। हमारा मिशन है ‘स्मार्ट स्कूल, स्मार्ट क्लास, स्मार्ट छात्र।’ बता दें कि सीहोर जिले में कुल 1552 स्कूल हैं, जिनमें से 1768 टीवी पहुंच चुके हैं। इन स्कूलों के स्मार्ट क्लास बनाने में शिक्षकों और नामांकन के लिए लगभग 4.25 करोड़ दान दिए गए हैं।

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