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मध्य प्रदेश: इस पद्म श्री विजेता जोधैया बाई बैगा के लिए कोई पक्का घर नहीं है NDTV हिंदी NDTV India – MP: एशियाने को लाट पद्म श्री विजेता 84 वर्षीय जोधिया अम्मा, इस उम्र में भी मांजने पड़ रहे हैं वोट -दिल्ली देहात से

जोधिया बाई इस उम्र में निशान भी मांजती हैं, घर में झाड़ू भी लगाने को मजबूर हैं

भोले :

मध्य प्रदेश समाचार: मध्य प्रदेश के उमिया जिले की जोधिया बाई बैगा उन 91 लोगों में शुमार हैं, जिन्हें इस बार पद्म श्री से नवाजा जाएगा। 84 साल की उम्र पार कर चुकीं जोधिया बाई ने अपनी और उमिया जिले की पहचान बनाई है, लेकिन उसी जिले में वे एक अदद आवास के लिए ला रही हैं। उनका कहना है कि पिछले साल प्रधानमंत्री से मिलने के दौरान भी उन्होंने ज़िक्र किया था, लेकिन अभी तक आवास नहीं मिला, वहीं प्रशासन का कहना है कि उनका नाम सूची में नहीं है। जोधिया अम्मा ने कहा, “मैं हाथ जोड़कर बोलती हूं। मोदीजी, शिवराजजी से मुझे घर दे दो, मैं बहुत गरीब हूं अकेले न बना खा सकती हूं, मैं कहां रहूं।”

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जोधिया अम्मा उमरिया जिले के लोढ़ा गांव में मड़ैय्या में रहती हैं। इस उम्र में कूची ने कमाल कर दिया है। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित हुए, अब पद्मश्री मिले हैं लेकिन इस उम्र में निशान भी मांजती हैं, घर में झाड़ू भी लगाती हैं। उनके संघर्ष की कहानी 14 साल की उम्र में शादी से शुरू हो गई। पति की मौत के बाद दो बच्चों को पाला, मछुआरे की, पत्थर तोड़े, देशी शराब भी परहेज। 70 साल की उम्र में शांति निकेतन के स्वामी आशीष से मिले। 2008 में जनगण की तस्वीर से कूची पकड़ी, फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आवास को लेकर कह रहे हैं, “अधिक से अधिक प्रधानमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक ने नुकसान पहुंचाया लेकिन घर नहीं मिला। उमिया गई, भोपाल गई। भारत भवन में भी बोला। पिछले साल मोदीजी ने बोल दिया मिल जाएगा चांद मकान लेकिन आज तक नहीं मिला।” मैं हाथ जोड़कर मोदीजी, शिवराजजी से बोलती हूं, मकान दे दो।”

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जोधिया अम्मा के परिवार में दो बेटे-बहू और नाती हैं। दोनों काम करते हैं। बेटों को आवास मिला है, प्रधानमंत्री आवास के नियम कहते हैं कि आवास योजना ग्रामीण के लिए आवेदन करने वाला गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाला होना चाहिए। समझौते के नाम पर देश में कही भी पक्का मकान नहीं होना चाहिए। आवेदन करने वाले परिवार की सालाना आय 3 लाख से 6 लाख के बीच होनी चाहिए। आवास योजना के तहत एक परिवार में केवल एक ही आवास का निर्माण किया जाएगा। ऐसे में प्रशासन का कहना है, वो मजबूर है, सीईओ जनपद पंचायत केके रैकवार ने कहा, “इनका परीक्षण मैंने किया है। राज्य डेटाबेस सूची में उनका नाम नहीं है। आवास प्लस में भी नाम नहीं है। उनके दो बेटों को लाभ मिला है। . सरकार की अन्य निर्धारक ओबामा का लाभ मिला है, पेंशन मिल गई है। शासन की नीति में स्टेट डाटाबेस या आवास प्लस में नाम शामिल है, इस संबंध में शासन को निर्णय लेना है।”।


जोधिया अम्मा इस उम्र में अपनी कूची से दुनिया में रंग भर रही हैं, लेकिन बेरंग नियम उनके सपनों के आड़े आ रहे हैं। भोपाल में मध्य प्रदेश के जनजातीय संग्रहालय में जोधिया अम्मा के नाम से एक पक्की दीवार बनी हुई है, लेकिन दुर्भाग्य से सत्ता के शीर्ष से नुकसान को देखते हुए उनके फायदे में भी एक पक्की दीवार नहीं आई जिन पर उनका नाम लिखा हो. , पद्मश्री जोधिया अम्मा के लिए क्या नियम बाध्यता होगी।

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