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कल्याणकारी योजनाओं से जुड़े ये पांच घोषणाएं जनता को राहत जरूर पहुंचाएंगे, लेकिन इन्हें लागू करना आसान नहीं है। ये योजनाएँ सरकारी विकल्पों के अनुरूप होती हैं। सीएम सिद्धारमैया के ही अनुमान को अनुपात, तो कम से कम 50,000 करोड़ का खर्चा इन पांच योजनाओं को लागू करने में आने वाला है।
क्या है ये पाँच ख़ामोश
गृहलक्ष्मी- कांग्रेस ने पहले पीड़ित में घर की महिला प्रमुख को 2000 रुपये मासिक बोनस देने का वादा किया था।
गृहज्योतिष- पार्टी का दूसरा वादा था कि अगर वह सत्ता में आता है तो राज्य की बीपीएल लाइन गरीबी रेखा से नीचे आने वाले सभी को 200 यूनिट तक बिजली सीधी करवाएगी।
भाग्य अन्न- तीसरा वादा ये किया गया था कि बीपीएल परिवार यानी गरीबी रेखा के नीचे आने वाले परिवार को 10 किलोग्राम चावल दिया जाएगा।
शक्ति- कांग्रेस ने चौथा वादा किया था कि उनकी सरकार आने के बाद राज्य की हर महिला को सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी।
युवा नामांकन- समन्वित ग्रेजुएट को दो साल तक 3,000 रुपये प्रति माह और राउटर धारकों को 1,500 रुपये प्रति माह दिया जाएगा।
हर साल 50000 करोड़ रुपये का खर्चा आया
नंबर सिद्धारमैया ने कहा कि इन योजनाओं पर कितना खर्च होगा, इसका शुरुआती अनुमान लगाया गया है। अनुमान के अनुसार चुनावी वादों को पूरा करने से सरकारी विकल्प पर हर साल 50,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। सीएम ने कहा, “हर जानकारी ली है। कैबिनेट की पहुंच में इस पर चर्चा होगी। मंत्री की राय के साथ ही फैसला लिया जाएगा।”
जरा योजना को लेकर भ्रम
कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के अनुसार, कुछ लोगों ने पत्र लिख सरकार से कहा है कि उन्हें मुफ्त सामान नहीं चाहिए। वहीं, आसपास की महिलाओं के बीच आजकल ये चर्चा गर्म रहती है कि 2000 रुपये की हर राशि महीने परिवार में सास या बहू किसे मिलेगी?
पंचायती राज मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, “हमने स्पष्ट बताया था कि 2000 रुपये परिवार की महिला मुखिया को देंगे। अगर परिवार में सास हेडहेड होगा, तो पैसे सास को मिलेंगे। “
पहले लागू होगा ‘गृह ज्योति योजना
इससे पहले सीएम सिद्धारमैया ने कहा था कि इन पांच योजनाओं में से सबसे पहले गृह स्थिति योजना को लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत राज्य की बीपीएल कतार गरीबी रेखा से नीचे आने वाले पूरे को 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त होगी। इस योजना को लागू करने के लिए सरकार के नारे से 1200 करोड़ रुपए खर्च होंगे। वहीं, अगर बैंगलोर शहर के बिजली बिल को आधार करार तो इस योजना को पूरा करने में सरकार को 19,018 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे।
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