#भारतीयनौसेना मिग-29के की पहली रात लैंडिंग करके एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की @IN_R11विक्रांत की ओर नौसेना के उत्साह का संकेत #आत्मनिर्भर.#AatmaNirbharBharat@PMOIndia@DefenceMinIndiapic.twitter.com/HUAVYBCnTH
— प्रवक्तानवी (@indiannavy) मई 25, 2023
मिग-29के जेट आईएनएस विक्रांत के फाइटर फ्लीट यानी फाइटर फ्लीट का हिस्सा है। मिग 29K लड़ाकू विमान एक बेहद उन्नत विमान है, जो किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। यह ध्वनि से दोहरी गति (2000 किमी प्रतिघंटा) पर उड़ सकता है। यह आपके वजन से आठ गुना अधिक भार ले सकता है। यह 6500 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है।
इससे पहले तेजस विमान के नौसैनिक संस्करण ने आईएनएस विक्रांत पर टक्कर की थी। हालांकि, तब यह लैंडिंग डे के वक्त ही करवाई गई थी। इसके अलावा कामोव 31 हेलीकॉप्टर को भी 28 मार्च को आईएनएस विक्रांत पर चढ़ा था।
मिग-29के की लैंडिंग को लेकर रक्षा मंत्री वरीयता सिंह ने कहा, “विलक्षण विक्रांत पर मिग-29के की रात में पहली लैंडिंग के परीक्षण को जगाने के लिए पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना को बधाई देता हूं। यह उल्लेखनीय उपलब्धि विक्रांत चालक दल और नौसेना के लिए है। पायलटों का सहयोग, पूर्ववर्ती और व्यावसायिकता का प्रमाण है।”
आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला पहला एयरक्राफ्ट करियर
आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला पहला एयरक्राफ्ट करियर है। इसका निर्माण केरल में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) की ओर से किया गया था। भारत के पहले एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रांत के नाम पर ही इस स्वदेशी एयरक्राफ्ट करियर का नाम रखा गया है। 45000 टन के आईएनएस विक्रांत को 20000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था। इसे पिछले साल सितंबर में नौसेना में शामिल किया गया था।
मिग-29K विमान के आकार
-माना जा रहा है कि मिग-29के विमान अगले 10-15 साल तक रुकेगा, लेकिन बड़ी समस्या यह है कि भारतीय वायु सेना के बेड़े में इसकी संख्या कम हो रही है। वायु सेना में अभी मिग-29के के 32 स्क्वैड्रन हैं और इसकी कमी से जूझ रही है।
-मिग-29के चौथी पीढ़ी के हाईटेक विमान हैं, जो नेवी के एयर डिफेंस मिशन में हमेशा अवरुद्ध होते हैं। किसी भी मौसम में बराबर क्षमता के साथ काम करने वाले ये विमान समुद्र और जमीन पर एक जैसा युद्ध कर सकते हैं।
-MiG-29K में मल्टी फैंटेसी डिस्प्ले (झामडी), डिजिटल स्क्रीन और ग्लास का कॉकपिट है। पहले जो वर्जन खरीदा गया था, उसे बाद में अपडेट किया गया, जिसके कारण इसकी मार्क क्षमता भी दी जा सकती है। अब मिग-29K हवा से, हवा से जमीन और एंटी शिपिंग अभियान को भी अंजाम दे सकते हैं। यानी समुद्री सतह पर मार करने में भी सक्षम है जिसके चलते नेवी ने अपने साथ इसे जोड़ा है।
-रूस के विमान संचालन पोत एडमिरल गोर्शकोव पर मिग-29के की फिर से होती थी। बाद में भारत ने इसे खरीद लिया और 2010 में शुरूआती नियमों को लेकर रक्षा मंत्री एक एंटनी की मौजूदगी में नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया।
-दो दशक से अधिक समय के इंतजार के बाद नौसेना ने मिग-29के को हासिल कर लिया था। इससे पहले, नौसेना ने अस्सी के दशक में ‘शॉर्ट टेक ऑफ एंड वर्टिकल लैंडिंग’ (एसटीओवीएल) ‘सी हैरियर्स’ का अधिग्रहण किया था, जो ब्रिटेन में लड़ाकू विमान बने थे।
-MiG-29K में जो हथियार लगे उनमें “ए-ए”, “ए-एस” मिसाइल, गाइडेड एरियल बम, रॉकेट, हवाई बम और 30 मिलीमीटर की बनी एयरगन शामिल हैं। ग्राहक के अनुरोध पर नए प्रकार की देरी को इसमें सेट किया जा सकता है।
-MiG-29K हाईटेक जेस्चर सिस्टम, क्वाड-रिडेंडेंट फ्लैग-बाय-वायर फ़्लाइट कंट्रोल सिस्टम, प्लान और ऑप्टिकल लोकेटिंग स्टेशन, हेलमेट-माउंटेड सटीक/विज़ुअल सिस्टम, कम्युनिकेशन-सेल्फ डिफेंस इक्विपमेंट, कॉकपिट इंस्ट्रूमेंट से लैस है। उच्च उड़ान सुरक्षा, धीमी का प्रभावी उपयोग, साथ ही साथ नेविगेशन और प्रशिक्षण कार्यों को संभालते में भी इस विमान का बड़ा रोल है।
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