आप दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल हैं, आपने इस परीक्षा के लिए तैयारी कैसे की?
ड्यूट के बाद जितना समय मिलता है, मैं उसे बर्बाद नहीं करता, डिकाउंटेंट रखता था। मैं तैयारी के लिए हर दिन 7-8 घंटे निकालता हूं। और जैसे ही परीक्षा की तारीख नजदीक आई तो मैंने छुट्टी ली।
दिल्ली पुलिस की नौकरी भी काफी कठिन है, दिन रात रहना होता है समय आवंटन कैसे? आप छुट्टी देने के लिए कैसे माने ?
तैयारी के दौरान डिपार्टमेंट और खासकर सीनियर्स को काफी सपोर्ट मिला। छुट्टी मिल गई थी परीक्षा से पहले। कई बार ऐसा होता था कि छुट्टी नहीं मिली तो वो अटेम्प्ट मेरा रह जाता था। फाइनली इस बार मैंने परीक्षा निकाली। सबका सपोर्ट मिला।
आपने इतने 6-7 अटेम्प्ट के बाद पेपर नहीं छोड़ें कुछ अपने विषयों के बारे में बताएं, कैसे आपने तय किया कि इन छोटी विषयों के बारे में पढ़ना है ?
मैं सिलेबस को देखते हुए तारीख और लगातार पढ़ाई की, कई किताबों को 17-18 बार पढ़ता हूं। बार बार अध्ययन किया हर रोज़। राइटिंग के सटीक। शैक्षिक योग्यता पर काम किया।
आपकी क्या गारंटी थी या लोग भरसा सुनिश्चित थे, कि बहुत से प्रयास नहीं किए गए?
मुझे भरोसा था कि कर पाउंगा, मैंने सोचा था कि आखिरी तक प्रयास करूंगा। और ये भी दिमाग में थार लिया था कि जो हो जाएगा मैं हौसला नहीं हारूंगा।
कुछ अपने परिवार के बारे में बताएं, परिवार का सहयोग जरूरी है?
परिवार का पूरा साथ मिला हालांकि परिवार में इस तरह की समझ नहीं है। लेकिन उन्हें पता था कि मैं बड़ा अधिकारी बनना चाहता हूं इसलिए उन्होंने साथ दिया। परिवार में परिवार की जिम्मेदारी है, पत्नी ने साथ दिया मां ने साथ दिया, मेरे बच्चों की जिम्मेदारी, छुट्टी लेकर मैं घर पर रहता था। परिवार मेरा गांव में हैं, उन्होंने कभी मुझसे समय नहीं मांगा, उनका बहुत बड़ा योगदान है।
हेड कॉन्स्टेबल से अधिकारी के रूप में निर्धारित किया जाएगा, आप किन्हीं को ग्रहण करेंगे? पुलिस में क्या होगा? या आम जनता के लिए क्या बदलेगा ?
मैं पुलिस के लिए वेलफेयर का काम करना चाहता हूं। पुलिस के काम में सुधार हो पुलिस वालों के परिवार को समय देने के लिए प्रावधान हो। जनता के लिए देश के लिए नजरिया पुलिस के प्रति इंसान को बदलेगा और पुलिस भी लोगों के प्रति इंसान को बिहेवियर कर लेगी।