दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम बहुत निराशाजनक अब कड़े फैसले लेने का समय है कांग्रेस – गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे बेहद चिंताजनक, अब कड़े फैसले लेने का समय: कांग्रेस -दिल्ली देहात से

कांग्रेस नेता ने यह भी दावा किया कि गुजरात में कांग्रेस का मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के साथ ही उनके गठबंधन के ‘अनुपचारिक घटक दल’ एमआईएम और आम आदमी पार्टी के साथ था। उन्होंने कहा, ”गुजरात के चुनाव के परिणाम बहुत भिन्न हैं। हम इसकी उम्मीद नहीं कर रहे थे. गुजरात में कांग्रेस और भाजपा का मुकाबला नहीं था। वहां एक तरफ बीजेपी और एमआईएम और आप का गठबंधन था तो दूसरी तरफ कांग्रेस थी।”

रमेश ने दावा किया, ”केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाएं भाजपा की मदद करने में लगी थीं। मैंने शिकायत की, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया। ‘जी 2’ पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह रहे थे। आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है।”

उन्होंने कहा, ”हमारा वोट प्रतिशत 27 है। यह 40 प्रतिशत का कंपोनेंट है। 27 प्रतिशत वोट कम नहीं होता और एक चुनाव में 40 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। हम कोई नहीं घुलने वाले हैं। यह आत्मचिंतन का समय है, एकता होने का समय है। नया नेतृत्व आने का समय है। गुजरात में मुद्दे हैं।” उनका यह भी कहना था कि अब स्थानीय नेतृत्व को लेकर कठोर निर्णय लेने का समय है। उन्होंने कहा कि प्रचार अभियान प्रदेश नेतृत्व चला था।

‘भारत जोड़ो यात्रा’ के गुजरात चुनाव पर असर से जुड़े सवालों पर रमेश ने कहा, ”भारत जोड़ो यात्रा अलग है, ये चुनाव अलग हैं। विधानसभा चुनाव के लिए कितना भी प्रचार केन्‍द्रीय नेता करें, आखिरकार लोग स्‍थानीय नेतृत्‍व को देखते हैं।”

बीजेपी को गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में 52.5 प्रतिशत वोट के साथ 156 सीटें मिली हैं. मुख्य विपक्षी कांग्रेस 27 प्रतिशत वोटों के साथ 17 सीट पर सिमट गई, तो आप को करीब 13 प्रतिशत वोटों के साथ पांच सीट हासिल हुई।

रमेश ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत पर कहा कि जनता ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है और अब सरकार को पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने सहित विभिन्न वादों को पूरा करना है। उन्होंने यह दावा भी किया, ”एक तरह से कहें तो हिमाचल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार नाकाम रहा।” गुजरात को छोड़कर अन्य सभी जगहों पर भाजपा के खिलाफ परिणाम आए।”

एक और सवाल के जवाब में रमेश ने कहा कि सीमा पर चीन के मामलों को लेकर 22 महीने से संसद में चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार इसमें हिस्सा ले रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार देश के साथ धोखा कर रही है।

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