[ad_1]
नई दिल्ली:
वन्यवादीपाल अमृत सिंह अब भी बहरा है। मथुरा सरकारी सूत्र ने दावा किया है कि ‘वारिश पंजाब दे’ नाम के संगठन के प्रमुख अमृतपाल की नजर सिखों की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा कमेटी (SGPC) पर कब्जा करने की थी। साथ ही वो बपतिस्मा के नाम पर अपना एक वोट बैंक बनाने में लगा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ”अमृतपाल सिख इतिहास की अपनी व्याख्या को प्रमाणिकता देने के लिए एसजीपीसी पर कब्जा करना चाहता था। एसजीपीसी को सिखों की मिनी पार्लियामेंट कहा जाता है।”
अधिकारियों ने कहा कि अब तक की जांच से यह भी पता चला है कि अमृतपाल सिंह धर्म के प्रचार के नाम पर अपनी हिंसक कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए लोगों को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे। गृह मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गुरुद्वारे जैसी गंभीर स्थिति की शिकायतों पर ध्यान नहीं देते हुए अमृतपाल सिंह के गुंडों ने उनके निर्देश पर दो गुरुद्वारों – कपूरथला और जालंधर में रेटिंग की थी। पूरे मामले में दिलचस्प बात यह थी है कि एसजीपीसी ने सोमवार को पंजाब सरकार से “निर्दोष” सिख युवकों को गिरफ्तार करने से रोकने के लिए कहा है। की है।
यह भी पढ़ें
दोषी करार कि पंजाब पुलिस ने अब तक उसके नेतृत्व वाले संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों सहित 120 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मुद्दे पर चौतरफा आलोचना कर रही सरकार ने गुरुवार को अमृतपाल सिंह के सहयोगियों पर एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980) के तहत मामला दर्ज करने को सही ठहराया है।
जहराब है कि अब तक अमृतपाल के सात साथियों पर एनएसए लगाया जा चुका है, इसमें गुरमीत सिंह बुक्कनवाला, बसंत सिंह, भगवंत सिंह, दलजीत सिंह कलसी, हरजीत सिंह के अलावा कुलवंत सिंह और गुर औजला शामिल हैं। अधिकारियों के अनुसार संबद्ध संगठन फ्रेंडजे (सिख फॉर जस्टिस) जो अब डब्ल्यूपीडी के खुले समर्थन में है, चिंता का एक प्रमुख कारण है। शिर्ष स्तर पर यह फैसला लिया गया कि इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्तों को सुरक्षा कारणों से पंजाब से बाहर भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “ऐसी खबरें थीं जो जेल में बंद अन्य अपराधियों को कट्टरपंथी बना रही थीं और उन्हें आनंदपुर खालसा स्पॉट/एकेएफ में जोड़ने की भी तैयारी चल रही थी।
ये भी पढ़ें-
[ad_2]