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सरकार बनाम न्यायपालिका बहस पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने NDTV से बात की – यह कोई तर्क नहीं : सरकार बनाम न्यायपालिका के टकराव के बीच आए कानून मंत्री के बयान पर बोले SC के पूर्व जज -दिल्ली देहात से

सरकार बनाम न्यायपालिका बहस पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश दीपक गुप्ता ने NDTV से बात की – यह कोई तर्क नहीं : सरकार बनाम न्यायपालिका के टकराव के बीच आए कानून मंत्री के बयान पर बोले SC के पूर्व जज
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नई दिल्ली :

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के इस तर्क से कि जिस तरह से चुने गए प्रतिनिधि जनता के प्रति जवाब देते हैं, उस तरह न्यायधीश जवाब नहीं हैं, को सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्‍त न्‍याधीश जस्टिस गुप्ता ने वोट से खारिज कर दिया है। एनडीटीवी के साथ विशेष इंटरवीयू में उन्नीस ने कहा, “ऐसे बयानों से न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कमजोरियां कमजोर हैं।” उन्नीस ने इसके साथ ही कहा कि मौजूदा व्यवस्थाएं इस कारण अस्तिव में है क्‍योंकि इसके संविधान निर्माताओं ने इसकी कल्पना की थी। जस्टिस गुप्ता ने कहा, इस तरह से हमने चुना है कि संविधान में हमारी न्यायपालिका को पहले जैसा होना चाहिए। यह अमेरिकी न्यायपालिका के विपरीत है, जहां जिला स्तर पर बहुत सारे लोग तब माने जाते हैं

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जुएब है कि सरकार बनाम न्यायपालिका की बहस में कानून मंत्री रिजिजू ने इस बात को दोहराते हुए कहा कि जैसा न्यायाधीश निर्वाचित नहीं होते हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक जांच का सामना नहीं करना पड़ता है, लेकिन लोग उन्हें देखते हैं और न्याय देने के तरीके से उनका ध्यान रखते हैं हैं। उन्होंने कहा कि भारत में अगर लोकतंत्र को फलना-फूलना है तो एक मजबूत और स्वतंत्र न्यायपालिका का होना जरूरी है। रिजिजू ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के कुछ विचार हैं और सरकार के कुछ विचार हैं तथा यदि दोनों मतों में कोई अंतर है तो ”कुछ लोग इसे ऐसे पेश करते हैं जैसे सरकार और न्यायपालिका के बीच महाभारत चल रही हो। ऐसा नहीं है… हमारे बीच कोई समस्या नहीं है।

जस्टिस गुप्ता ने कहा कि जजों की नियुक्ति करने वाला कॉलेजियम सिस्टम, ऐसी एक प्रक्रिया है जिसमें सरकार बड़ी भूमिका चाहती है, यह कभी चुनावी माइली नहीं रही। ज्यादातर देशों में न्यायिक न्यायालय (सर्वोच्च न्यायालय) के लिए जज नहीं बनते हैं। “यह वास्तव में कोई तर्क नहीं है। यह आपके लिए कोई तर्क नहीं है कि फिर हम बनते हैं इसलिए हम लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं… मुझे लगता है कि यह स्पष्टीकरण करने की आवश्यकता है कि समानता सरकार के पास यह कहने के लिए संख्या बल नहीं है कि वे लोगों की इच्छा को प्रस्तुत करते हैं।” उन लोगों ने कहा कि सरकार वोटों के लिए केवल 35 फीसदी वोट मिले और अगर कुल वोटरों की गिनती हो तो यह संख्या घटक 25 फीसदी रह जाती है। न्यायमूर्ति गुप्ता ने लहजे में सवाल किया कि क्या कानून मंत्री का बयान, जजों के विभिन्न नामों को खारिज करने की सरकार के कारणों को सार्वजनिक करने के कॉलेजियम के गैर-कानूनी कदम का परिणाम है। उन्होंने कहा, “हो सकता है कि कॉलेजियम ने जो किया है उससे वे हिल गए हों।”

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