नई दिल्ली :
पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी पैर जमाकर हिरासत में लिए जाने के मामले में मौत के एक मामले में दी गई सजा के खिलाफ अपनी अपील पर गुजरात हाई कोर्ट में सुनवाई टालने का आग्रह किया है। भट्ट ने अपनी अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में उनका एक और अर्जी खुला है। उन्होंने उस पर फैसला आने तक हाई कोर्ट से सुनवाई नहीं करने का आग्रह किया है।
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जामनगर के ट्रायल कोर्ट ने जुलाई 2019 में संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अदालत ने भट्ट को एक नागरिक भगवानदास माधवजी वैशनानी की 1990 में पुलिस हिरासत के दौरान मौत का दोषी माना था।
अपने बचाव में संजीव भट्ट ने एक जानकार डॉक्टर की रिपोर्ट भी कोर्ट को दी थी जिसमें मौत की वजह से हिरासत में प्रभुदास से उठक मीटिंग लगवाना नहीं था। लेकिन ट्रायल कोर्ट में भट्ट की ये दलील और रिपोर्ट खारिज कर दी गई।
इसके खिलाफ भट्ट ने गुजरात हाई कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 319 के तहत विशेषज्ञ रिपोर्ट के सबूतों को मान्यता देने की गुहार लगाई थी।
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