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हरीश चौधरी के साथ….

महाराष्ट्र सरकार के आश्वासन, घोषणा के इंतजार में मुंबई से 90 किमी दूर रुके किसान – सरकार के विनाश पर मुंबई से 90 किलोमीटर दूर मेटे गए किसान, घोषणा का इंतजार -दिल्ली देहात से

महाराष्ट्र सरकार के आश्वासन, घोषणा के इंतजार में मुंबई से 90 किमी दूर रुके किसान – सरकार के विनाश पर मुंबई से 90 किलोमीटर दूर मेटे गए किसान, घोषणा का इंतजार
-दिल्ली देहात से

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मुंबई से 90 किलोमीटर दूर वासिंद में आदिवासी किसानों ने शाम को गीत गाते हुए अपना खाना बनाया। वे प्रतीक्षा कर रहे हैं कि सरकार उनके संबंध को कब बंधक बनाती है। राज्य सरकार के समझौते के बाद किसान कुछ दिनों के लिए वर्कशीट और घोषणा का इंतजार करेंगे। अगर ऐसा नहीं होता है तो उनका मार्च फिर से शुरू हो जाएगा।

नासिक के नंद गांव तालुका से इस मार्च में शामिल हुए 65 वर्षीय भिकुनाई मोरे इस उम्र में भी गन्ने के खेतों में काम करते हैं। उनका जमीन वन विभाग के नाम पर है इसलिए उन्हें बैंक से कर्ज नहीं मिलता है। घर में शादी थी तो भिकुबाई ने एक देनदार से लाखों रुपये का कर्ज लिया। अब वे मजदूरी कर कर्ज चुका रहे हैं। इन किसानों को अपनी न्यूनतम सिद्धांतों को भी नहीं मिल रहा है।

कर्ज के जाल में जकड़न मजबूरी
भाईबाई मोरे ने कहा, ”मैंने लाखों लाख का कर्ज लिया है। सौ रुपये पर 10 रुपये का वेग लग रहा है। हम इसे कैसे चुकाएंगे। हम काम करते हैं, जितना पैसा मिलता है वह चुकाते हैं। उसके बाद कर्ज वापस लेते हैं और वापस काम करते हैं। इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है।”

एक महिला किसान ने कहा, ”आज तक हमारे गांव में बिजली नहीं आती है। बिजली का खंबा है, लेकिन बिजली नहीं है। पहले रॉकेल के जरिए घर में हम दिया जलाते थे, सरकार ने उसे भी बंद कर दिया।”

प्याज के साथ वादा नहीं मिलने से किसान परेशान
इस मोर्चों पर प्याज उत्पादकों की भी बड़ी संख्या मौजूद है। नासिक के चाँदवड़ तालुका के प्रमाण बनकर पाँच एकड़ में तीन लाख रुपये खर्च किए, मिले केवल लदान लाख। उसी तरह दूसरे भी किसान हैं जो नुकसान जीतते हुए अपनी लाभ कमाते हैं। यह सभी सरकार के 300 रुपये के अनुदान से अनुदान प्राप्त कर रहे हैं।

सुरेश बनकर ने कहा, ”तीन लाख रुपए खर्च करके भी लाख लाख मिला। मैंने बैंक से लाख का कर्ज लिया था, अब मुझे किसी और से 50 हजार रुपए लेकर बैंक में देना पड़ा। अगर कर्ज समय पर नहीं भरता तो बैंक वाले बाद में कर्ज नहीं देंगे।”

एक किसान ने कहा, ”हम कितने बार यह लॉन्ग मार्च निकालेंगे। अगर सरकार 100 प्रतिशत अनुदान दे, स्वामीनाथन आयोग की कार्रवाई लागू करे तो बहुत से सारे प्रश्न सुलझ जाएंगे।”

सरकार ने अगर सोमवार तक इन किसानों के लिए राहत का ऐलान किया तो जीआर नहीं आवंटन तो यह किसान एक बार फिर से मुंबई की ओर पैदल दौड़ नामांकन। वासिंद में आपको हर किसान परेशान और बेबस ही होगा।

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