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हरीश चौधरी के साथ….

व्याख्याकार: आरबीआई के डिजिटल रुपये को आसान शब्दों में समझें – व्याख्याता -दिल्ली देहात से

ऐसे में हम भी यह प्रयास कर रहे हैं कि अपने लेखों को यह आसान भाषा में समझा सक्षम कि ​​यह पूरा मामला क्या है। सबसे पहली बात डिजिटल रुपया या डिजिटल पहला क्या है?

डिजिटल रुपी का लेन-देन, डिजिटल रूपया क्या है

डिजिटल रुपयों को आम भाषा में समझें तो वही नोट हैं जैसे आप अपने हाथों में लेकर बाजार में लेन-देन करते हैं। बाजार के अलावा आप अपने दोस्त आदि या फिर चाय की दुकान पर रुपये में लेन-देन करते हैं। आप सोच रहे होंगे फिर यह डिजिटल कैसे हुआ। तो समझिए कि रुपये को आप हाथ में लेकर दे रहे हैं वह आप अपने वॉलेट के जरिए देंगे। यह वॉलेट नहीं है जिसे आप समझ रहे हैं। यह एक प्रकार का PayTm या फिर Google पे वाला वॉलेट है। यानी डिजिटल है। अभी भी आपका डिजिटल वॉलेट किसी बैंक खाते से बहाना बनता है। आप पेटी या फाइल गीगल पे जैसे किसी वेबसाइट पर पहले किसी बैंक खाते को लिंक करते हैं फिर वहां से वेबसाइट के वॉलेट पर पैसा ट्रांसफर करते हैं और अनापत्ति में उपयोग करते हुए लाते हैं।

इसके अलावा अन्य फायदों के अलावा आप सीधे यू अलाउंस के माध्यम से भी सीधे लेन-देन करते हैं। वर्तमान में यह केवल दो माध्यम से है जिसे आप वॉलेट के माध्यम से डिजिटल रूप से पंजीकृत करते हैं। उसी साइट के माध्यम से या बैंक में अपने खाते के खाते के खाते से खाते को सीधे किसी को भी आवंटित कर सकते हैं। यह डिजिटल रूप भी धारण करता है। इसी तीन माध्यम से आज की तारीख में हम डिजिटल अधिकार जताते हैं।

डिजिटल रुपी की क्या जरूरत थी

प्रश्न यह है कि विशेष रूप से डिजिटल पहली की क्या भूमिका और क्या आवश्यक है जो सरकार को ऐसा करने का काम कर रहा है। केंद्र में जो भी सरकारें रही हैं वे हमेशा से देश में काले धन से परेशान हैं। सभी कालेधन की समस्या को परेशान करती है। कालेधन के साथ भ्रष्टाचार बराबरी में दोस्ती के लिए मुसीबत बन रहा है। भ्रष्टाचार और कालाधन एक बार में एक और का पर्याय बन गया था और आज भी यह एक गंभीर समस्या की तरह मुंह बायकर खड़े हैं। इसके अलावा सरकार को मनीड्रिंग के मामलों से भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लाखों करोड़ रुपये वारे न्यायरे हो रहे हैं और सरकारी तंत्र आम तौर पर सच साबित हो रहे हैं। सरकार के पास भी इसे रोकने के लिए ज्यादा हथियार नहीं बचा।

सरकार का फायदा

अब सरकार डिजिटल रुपये के माध्यम से भ्रष्टाचार कालाधन, मनी लॉन्ड्रिंग और फंडिंग को रोकने का रास्ता तैयार करना चाह रही है। ये सब ही केवल कारण नहीं है। इसके साथ ही सरकार को नुकसान को आपस में, हर साल खराब हो रहे नोटों को दोबारा: छापने और पूरे देश में कैश फ्लोट रखने के लिए हर साल करोड़ रुपये का खर्च भी करना पड़ता है। डिजिटल रुपयों के माध्यम से सरकार इन संभावनाओं पर नौकरी पाने की तैयारी में है। डिजिटल रूपए का लेखा-जोखा सरकार की नजर में रहेगा और जब भी इसकी जानकारी निकाली जा सकती है और सरकार पर उचित कार्रवाई की जा सकती है।

वर्तमान में जिन भी भारतीय रुपये का डिनोमिनेशन है उसी में डिजिटल रुपये जारी किया गया है। यानी भारत में वर्तमान में ₹10, ₹20, ₹50, ₹100 ₹200, ₹500 और ₹2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोट हैं जिन्हें आरबीआई जारी करता है। इन नोटों को बैंक नोट कहा जाता है क्योंकि ये आरबीआई जारी करता है। इन सीमित मूल्यवर्ग के नोटों को डिजिटल रूप में भी जारी किया गया है।

कैसे करेगा काम
इस पूरी प्रक्रिया को एनपीसीआई (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा संचालित किया जा रहा है। एनपीसीआई अभी भीम ऐप का संपूर्ण संचालन कर रहा है। इसके अलावा कई लेन-देन के माध्यम से भी एनपीसीआई है। डिजिटल रुपयों में एनपीसीआई एनपीसीआई काफी अहम भूमिका निभा रहा है। डिजिटल रुपये के लेन-देन में सेट्स के माध्यम से वॉलेट की सुविधा दी जाएगी जिसके ग्राहक के अनुरूप रुपये और किस मात्रा में कौन सा मूल्यवर्ग का डिजिटल नोट दिया जाएगा। इसके बाद एनपीसीआई एनपीसीआई द्वारा दिए गए क्यूआर कोड (क्यूआर कोड) के जरिए अपना अधिकार जताएगा।

क्या फर्क आया और कैसे
माना जा रहा है कि बैंकिंग व्यवस्था या कहें रुपए के लेन-देन की व्यवस्था में डिजिटल सेकंड के आने से पूरी तरह से एकरूपता आ जाएगी। आज की तारीख में रुपये के डिजिटल बैंकों में लेन-देन के लिए आपको बैंक खाते की जरूरत है डिजिटल जो रुपये के लेन-देन में नहीं बताया गया है। इसके अलावा डिजिटल बैंकिंग में लेन-डेन रियलटाइम नहीं होता है जो डिजिटल रुपये में रियलटाइम मनी ट्रांसफर करेगा। डिजिटल रुपये में बैंक खाते की जगह वॉलेट अकाउंट से लेन-देन होगा। यानी पूरी प्रक्रिया में उपयोगकर्ता को एक वॉलेट खाता बनाया जाएगा, जिसके द्वारा स्वयं को पहली बार रखा जाएगा। उसके साथ यह एक नया बैंक है। यह पहला यूजर के होश से उसके वॉलेट में डाला जाएगा। अकाउंट में रुपये भी क्यूआर कोड के जरिए दिया जाएगा। यह क्यूआर कोड एनपीसीआई द्वारा उपयोगकर्ता को दिया जाएगा।

प्रयोग क्या है
रिलीज के पहले चरण में ई-रुपया (ई-रुपया) को नई दिल्ली, मुंबई, बैंगलोर और भुवनेश्वर में शुरू किया गया है। डिजिटल रुपी का परीक्षण वर्तमान में सीमित उपयोगकर्ता के बीच जारी किया गया है अर्थात कुछ चुने हुए लोगों के समूह के बीच बंद उपयोगकर्ता समूह कहा जा रहा है। मौजूदा चार प्रकार- इंडियन स्टेट बैंक (एसबीआई), आईसीसीआई बैंक (आईसीआईसीआई बैंक), यस बैंक (यस बैंक) और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (आईडीएफसी फर्स्ट बैंक) शामिल हुए हैं। इन बैंकों के साथ-साथ ग्राहक और व्यवसायी डिजिटल रुपये में नामांकन कर सकते हैं। यह लेन-देन चुनिंदा लोगों के बीच आप में प्रायोगिक तौर पर किया जा रहा है साथ ही व्यापारी भी इसे आप में प्रयोग में ला रहे हैं। कुछ आम नागरिकों और प्रक्रियाओं के बीच डिजिटल रुपयों में लेन-देन शुरू किया गया है। यह पायलट प्रोजेक्ट इस डिजिटल रुपये के नियमों में आने वाली परेशानी को पकड़ने और दूर करने के लिए किया जा रहा है।

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