बिजली कर्मियों ने तीन दिन की अपनी हड़ताल के दूसरे दिन शुक्रवार को दावा किया कि हड़ताल के राज्य के कुछ हिस्सों में बिजली आपूर्ति पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने विरोध दूर करने के लिए तस्वीर योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप की मांग भी की।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के कमिश्नर शैलेन्द्र दुबे ने कहा, “ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन अधिकारियों की हठधर्मिता के कारण हड़ताल हुई। हड़ताल की बिजली सप्लाई पर व्यापक असर दिखाई दे रहा है। अनपरा, ओबरा और पारीछाह में ताप बिजलीघरों की पांच दशक ठप हो गई हैं।”
कई झटके में बिजली वितरण प्रणाली चरमराई
शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया, “ताप बिजलीघरों के प्रबंधन ने हड़ताल में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, भले ही बिजली कर्मियों को भूख-प्यासा रखने के लिए लगातार 16 घंटे तक काम किया गया हो, लेकिन उन्हें बिजली की गणना नहीं मिली।” उन्होंने दावा किया, “अअपरा में 210 इमेज क्षमता की दो यूनिट, ओबरा में 200 इमेज कैपेसिटी की दो यूनिट और पारी छाया में 210 इमेज क्षमता की एक यूनिट थप हो गई है। इसकी बिजली आपूर्ति पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। बिजली कर्मियों के न होने से प्रदेश के कई ढीले-ढाले वितरण सिस्टम चरमरा गए हैं।”
जुएब है कि बिजली प्राधिकरण में कार्यरत एवं प्रबंध निदेशक के चयन और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी गुरुवार को रात 10 बजे से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए। सरकार ने हड़ताल पर कड़ा रुख अपनाते हुए काम पर नहीं आने वाले कामकाजी बिजली कर्मचारियों को बर्खास्त करने और प्रदर्शन के दौरान एकतरफा होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
हड़ताल का आह्वान करने वाले बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आयुक्त दुबे ने गुरुवार को बताया कि प्रदेश के करीब एक लाख बिजलीकर्मी गुरुवार को रात 10:00 से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने कहा था, “अनपरा, ओबरा, पारीछांव और हरदुआगंज बिजली संयंत्रों में गुरुवार की रात पाली के सभी कर्मचारी, कनिष्ठ अभियन्ता और अभियन्ता हड़ताल पर चले गए हैं। बिजलीघरों में रात की पाली में फुल स्ट्राइक हो गई है।”
यूपी में 23 साल बाद बिजली कर्मियों की पूरी हड़ताल
दुबे ने कहा था कि प्रदेश में करीब 23 साल बाद बिजली कर्मियों की पूरी हड़ताल हो रही है। उन्होंने कहा, “तीन दिसंबर 2022 को प्रदेश सरकार और बिजली कर्मियों के बीच समझौता हुआ था। सरकार की ओर से ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने समझौते के संबंध में 15 दिन का समय मांगा था। हालांकि, अब तीन महीने से जुकाम हो चुका है, लेकिन एकॉर्ड पर अमल नहीं हुआ है।”
दुबे ने दावा किया कि सरकार ने समझौते में कहा था कि सत्ता के कई प्रभार और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के माध्यम से किया जाएगा, लेकिन इस व्यवस्था को बंद करके अब इन कार्यों पर स्थानांतरण के माध्यम से फिर से शुरू किया जाएगा की जा रही है, जो टकराव का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गया है।
उरड़, बलिया से मिली खबर के अनुसार, जिले के कोतवाली क्षेत्र में गुरुवार की रात बिजली कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान शहर की बिजली आपूर्ति के दौरान एक निजी कर्मचारी हाईटेंशन तार की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गया। कर्मचारियों की नागरिक स्थिति में स्थानीय अस्पताल में भर्ती होने का दावा किया गया, जहां से उन्हें वाराणसी रेफर कर दिया गया।