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यूपी एनडीटीवी हिंदी एनडीटीवी इंडिया में बिजली विभाग के यूनियन नेताओं के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू – बिजली विभाग के कर्मचारी यूनियन नेताओं के खिलाफ अवमानना ​​की कार्रवाई शुरू, यूपीपीसीएल ने भी नोटिस भेजा -दिल्ली देहात से

कोर्ट ने नेताओं को जमानती वारंट जारी किया

बिजली के निर्देशों को नहीं करने के पूर्व के आदेश के बावजूद प्रदेश के बिजली विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर जा रहे हैं ग्रेब्रेट्स को लेते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विभाग के कर्मचारी यूनियन नेताओं के अवमानना ​​की कार्रवाई शुक्रवार को शुरू की। अदालत ने इन नेताओं को जमानती वारंट जारी किया और उन्हें 20 मार्च 2023 को अदालत के द्वारा पेश होने का दावा किया गया। इस बीच, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने उच्च न्यायालय की घोषणा का हवाला देते हुए बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आयुक्त शैलेंद्र दुबे सहित विभिन्न अंगों के कुल 18 अधिकारियों को नोटिस जारी कर हड़ताल वापस लेने का दावा किया है।

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एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जेपी अश्विनी कुमार मिश्रा और संयुक्त विनोद दिवाकर ने निर्देश दिया कि इस मामले में जाम की स्थिति को देखते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के अधिकारियों को मुख्य न्याय मजिस्ट्रेट, लखनऊ द्वारा जमानती वारंट जारी किया जाता है और उन्हें इस कोर्ट में 20 मार्च 2023 को सुबह 10 बजे पेश होना जरूरी है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि दोषी अधिकारियों या छह कर्मचारियों के खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए ताकि इस अदालत द्वारा दिसंबर 2022 तक जजों की याचिका दायर करने की सुनिश्चितता सुनिश्चित की जा सके जो कि राज्य में बिजली के मामले में दिए गए निर्देश थे अनुसूचियां नहीं होगी।

इस मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को तय करते हुए अदालत ने सरकार को तब तक इस मामले में कार्रवाई की जानकारी देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा, “संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव तब तक एक हलफनामा पेश करेंगे।” न्यायालय ने निर्देश पारित करते हुए कहा, “जो कुछ भी हमारे द्वारा प्रस्तुत किया गया है, उसे देखकर लगता है कि एक गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई है जिस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। फिर भी इन कर्मचारियों की मांग में दम है, तब भी पूरे राज्य में बाधा नहीं डाली जा सकती है।” अदालत ने कहा, “कर्मचारियों का इस तरह का कार्य बिजली द्वारा अधिरोपित नहीं किया गया है, इस अदालत के निर्देश का उल्लंघन है। राज्य की अलग-अलग बिजली उत्पादन इकाइयों में बिजली उत्पादन घटने से राष्ट्रीय हित से समझौता होता है। इसलिए प्रथम दृष्टया यह छह दिसंबर 2022 के इस न्यायालय के आदेश की अवज्ञा है।”

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(इस खबर को एंडीटीवी टीम ने नाराज नहीं किया है। यह सिंडीकेट से सीधे प्रकाशित किया गया है।)