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सीआईआई प्रमुख आर दिनेश ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक 40 ट्रिलियन हो जाएगी -दिल्ली देहात से

सीआईआई प्रमुख आर दिनेश ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक 40 ट्रिलियन हो जाएगी
-दिल्ली देहात से

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सीआईआई प्रमुख आर दिनेश।

नई दिल्ली:

उद्योग संघ सीआईआई के नए अध्यक्ष आर दिनेश ने कहा है कि भारत 2030-31 तक 9 डॉलर की उद्योगीकरण कर सकता है। बुधवार को एनडीटीवी से बातचीत में सीआईआई अध्यक्ष ने कहा कि अगले दस वर्षों के दौरान भारतीय उद्योग जगत की रफ़्तार काफी बेहतर हो सकती है और 2047 तक भारत 40 डॉलर की उद्योगीकरण बन सकती है।

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अंतराष्ट्रीय उद्योग में संकट के बीच 2022-23 के दौरान भारत की अधिकृत रेटिंग रिपोर्ट से कुछ बेहतर 7.2% रही।
इंडस्ट्री यूनियन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज़ सीआईआई के नए अध्यक्ष आर दिनेश इन आंकड़ों से उत्साहित हैं। गुरुवार को आर दिनेश ने एनडीटीवी से कहा कि 2023-24 के दौरान इंडस्ट्री की रफ़्तार 6.5% से 6.7% रहने की उम्मीद है।

CII का अनुमान है कि आर्थिक मोर्चों पर स्थिति अनुमान अनुमान के अनुसार बने रहे तो भारत 2030-31 तक 9 डॉलर और 2047 तक 40 नौकरशाही रेटिंग की उद्योगीकरण बना सकता है।

आर दिनेश ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा, “अगर उद्योग की गति रिपोर्ट के अनुसार बनी हुई है तो हमारा मैथमैटिकल कैलकुलेशन है कि भारतीय उद्योग 2030-31 तक 9 स्टेट डॉलर की हो सकती है। हमारा प्रोजेक्शन है कि 2047 तक भारतीय उद्योग का आकार 40 डॉलर डॉलर तक हो सकता है”.

भारतीय उद्योग जगत की रफ़्तार में होने वाले सुधार पर आधारित है।
सीआईआई के मुताबिक पिछले दस सालों में भारत का आर्थिक विकास दर 6.6% रहा है। सीआईआई का अनुमान है कि अगर उद्योग की स्थिति बेहतर रही और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता बनी रही तो अगले दस साल में आर्थिक विकास दर का औसत 7.8% रहने की उम्मीद है।

सीआईआई का लक्ष्य है कि इस वर्ष तक 5% से कम रहेगा। आने वाले महीनों में सीआईआई को मिली रेपो रेटिंग से राहत की उम्मीद है? एनडीटीवी के इस सवाल पर सीआईआई के अध्यक्ष आर दिनेश ने साध्वी से प्रतिक्रिया दी। आर दिनेश ने कहा, “यह जरूरी है कि नीचे स्तर पर बनी रहे। हम 6 महीने के बाद सोचेंगे…अगर झरता अगले 6 महीने तक नीचे स्तर पर बना रहता है, तो उसे निश्चित रूप से कुछ उम्मीद होगी।”

CII ने उद्योग में नए सुधार के लिए सरकार के सामने 8 प्राथमिक योजनाएँ रखी हैं। इसमें, कृषि, शक्ति और भूमि से जुड़े कारक बाजार सुधार, कम लागत पर फंड की आपूर्ति (कम लागत पर आपूर्ति धन) और कृषि पंजीकरण के लिए कॉर्पोरेट सेक्टर की प्रत्यक्ष भागीदारी बढ़ाने का प्रस्ताव शामिल है।

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