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हरीश चौधरी के साथ….

चैत्र नवरात्रि 2023 दिन 7: मां कालरात्रि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पसंदीदा रंग – आज नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानिए मुहूर्त, विधि और मां का प्रिय रंग -दिल्ली देहात से

चैत्र नवरात्रि 2023 दिन 7: मां कालरात्रि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और पसंदीदा रंग – आज नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानिए मुहूर्त, विधि और मां का प्रिय रंग 
-दिल्ली देहात से

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मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि की पूजा विधि से पहली मां के विषय में कुछ अहम बातें जानने की जरूरत है। मां के स्वरूप की बात करें तो मां का वर्ण अंधकार की तरह काला होता है। काले या श्याम रंग की वजह मां का क्रोध था। मिथक के अनुसार असुरों के प्रकोप और हाहाकार से मां भयंकर रूप से क्रोधित हो गईं जिससे उनका रंग श्यामल हो गया। मां कालरात्रि चारों वाली हैं और शिव (भगवान शिव) की तांडव मुद्रा में नजर आती हैं। मां की आंखों से अग्नि की लपटें टकराती हैं। एक हाथ में मां शत्रुओं की गर्दन और दूसरी में तलवार पकड़कर युद्धस्थल पर चढ़ती हैं। मां की सवारी गर्दभ यानी दाब होती है।

मां कालरात्रि की पूजा

मां कालरात्रि की पूजा (कालरात्रि पूजा) सुबह और शाम दोनों समय की जाती है। मां के आसन के नजदीक लाल रंग की कंबली रखी जाती है। इसके मां के जलने का जहर जलते हैं। मां को रोली, अक्षरत, चंदन के साथ ही लौंग, बताशा और हवन सामग्री का निरूपण किया जाता है। मां कालरात्रि को फूल चढ़ाए जाते हैं और साथ ही गुड का भोग लगता है।

आज मां कालरात्रि की पूजा का लाभ या विकास मुहूर्त सुबह 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजे तक 26 मिनट तक माना जा रहा है। इसके बाद चैत्र शुक्ल सप्तमी तिथि शाम 5 बजकर 27 मिनट से शुरू हो रही है।

बता दें कि मां का प्रिय रंग नीला माना जाता है। इस वजह से नीले रंग के परिधान भक्त आज के दिन धारण कर सकते हैं।

मां कालरात्रि मंत्र

ॐ कालरात्र्यै नम:।

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना सत्यस्थिता, लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हरिणि।

जय सर्वगते देविकालरात्रि नमोस्तुते॥

ॐ ऐं सर्वप्रश्मनं त्रैलोक्यस्य अखिलेश्वरी।

एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सेन ऐं ॐ।।

मां कालरात्रि आरती

कालरात्रि जय-जय-महाकाली।

काल के मुह से बचाने वाला॥

दुष्ट संघारक नाम घन।

महाचंडी तेर अवतार॥

पृथ्वी और आकाश पे सारा।

महाकाली है तेरा पसंद॥

खड़ग खप्पर रखने वाले।

दुष्टों का लहू चखनेवाली॥

कलकत्ता स्थान घन।

सब जगह देखूं तेरा नजारा॥

सभी देवता सब नर-नारी।

गावें स्तुति तुम सब॥

रक्तदंता और अन्नपूर्णा।

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥

ना कोई चिंता हो रही है।

ना कोई गम ना संकट भारी॥

उस पर कभी मुसीबत ना आवें।

महाकाली माँ जिसे बचाए॥

तू भी भक्त प्रेम से कह।

कालरात्रि तेरी जय॥

(अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी सामान्य सट्टेबाजी और जानकारियों पर है। एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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