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सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए घृणास्पद भाषणों का हनन मौलिक आवश्यकता : सुप्रीम कोर्ट – सांप्रदायिकता के लिए हेट स्पीच को खत्म करना जरूरी: सुप्रीम कोर्ट -दिल्ली देहात से

नई दिल्ली:

वर्ण भाषणों हेट स्पीच (घृणित भाषण मामले) मामले में सुप्रीम कोर्ट (सुप्रीम कोर्ट) में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा, ‘सांप्रदायिक सद्भावना सुनिश्चित करने के लिए हेट स्पीच को खत्म करना जरूरी है। ऐसे मामलों में स्थिति दर्ज होने के बाद तत्काल कार्रवाई सुनिश्चित हो जाती है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सेंटर से पूछा कि हेट स्पीच पर क्या कार्रवाई की गई है। इस मामले में अब बुधवार (29 मार्च) को सुनवाई होगी.

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वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कोर्ट को बताया, ‘हेट स्पीच को लेकर 18 एफआईआर दर्ज की हैं। सुप्रीम कोर्ट को मजिस्ट्रेट कोर्ट न बनाया जाए। याचिकाकर्ता सिलेक्टिव केस नहीं ला सकते. वो सभी धर्मों के मामले में अन्यथा याचिकाकर्ता की संभाव्यता पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। याचिकाकर्ता केवल एक विशेष समुदाय के खिलाफ भाषण से संबंधित अखबारों की खबरों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल कर रहे हैं।’

वहीं, याचिकाकर्ता के वकील निजाम पाशा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उन्होंने अखबारों की खबरों को अर्जी में दिखाया है कि किस तरह हेट स्पीच दी जा रही है।

हेट स्पीच से जुड़े कानून के सख्त पालन के पक्षधर मानते हैं कि कई मौकों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आचरण होता है। ऐसे बयान दिए जाते हैं भावनाओं का बोझ बढ़ जाता है और फिर फ्री स्पीच के नाम पर इन्हें कई तरह से काट लिया जाता है। ऐसे में हेट स्पीच पर सख्ती से लगाम लगाना जरूरी है।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी की सुनवाई में मुंबई में सकल हिंदू समाज द्वारा आयोजित की जाने वाली रैली के खिलाफ अर्जी पर महाराष्ट्र सरकार को कहा था कि वो सुनिश्चित करें कि रैली में कोई हेट स्पीच न दे। ये रैली 5 फरवरी को आयोजित हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने रैली की वीडियो रिकॉर्डिंग के ऑर्डर भी दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 29 जनवरी को हुई जम्मू-कश्मीर महासभा की रैली पर भी रिपोर्ट दर्ज की थी।

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