दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

28 वर्ष में अनुज भाटी ने किया एक ऐसा मुक़ाम हासिल

      28 वर्ष में अनुज भाटी ने किया एक ऐसा मुक़ाम हासिल

               दिल्ली देहात से… हरीश चौधरी के साथ, एपिसोड- 1

दिल्ली देहात से… यह दिल्ली और इससे जुड़ी आसपास के इलाकों के देहात की मिट्टी में रची बसी कहानियों का एक अनूठा संग्रह है। इन कहानियों में सफलता के उन उदाहरणों से आपका परिचय होगा जो हम में से ही एक हैं, मगर जिनका जीवन हम सबके लिए प्रेरणा का एक श्रोत है। आज की इस कड़ी में आपकी मुलाकात दिल्ली देहात के एक युवा, कर्मठ और प्रगतिशील व्यक्ति से कराएंगे। उम्र में छोटा, लंबाई में ऊंचा और कार्य करने में उससे भी ऊंचा, मात्र 28 वर्ष की आयु में बड़े-बड़े मकाम हांसिल करने वाले व्यक्ति श्री अनुज भाटी के जीवंत जीवन के सफर का किस्सा ये है कि अनुज भाटी का जन्म ग्रेटर नोएडा के अस्तौली गाँव के एक किसान परिवार में हुआ। अनुज के पिता श्री कर्मवीर सिंह और माता श्रीमती जयबती देवी ने उसे बचपन से ही शिक्षा की महत्ता का बोध कराया। अनुज के दादा श्री गजराज सिंह और दादी श्रीमती समंत्रा देवी ने अपने लाडले पोते को अपनी मिट्टी से जुड़े रहना सिखाया। यही वो मूल्य थे जो युवा अनुज को अपने समाज के प्रति ज़म्म्दारियों को निभाने के लिए प्रेरित करते रहे। अनुज भाटी को दिल्ली सरकार द्वारा, महज़ 28 साल की उम्र में ही दिल्ली युनिवर्सिटी के सत्यवती कौलेज का चेयरमैन नियुक्त किया गया। यह किसी भी युवक के लिए अतुलनीय उपलब्धि है मगर अनुज ने शालीनता से अपने दायित्व की गम्भीरता को समझते हुए स्वीकार किया। आज अनुज भाटी इतनी कम उम्र में इतने ऊँचे औहदे की गरिमा बनाए रखते हुए, किसी परिपक्व व कुशल शासक के रूप में जाने जाते हैं। ये है कहानी अनुज भाटी की जो आज की युवा पीढ़ी को अपने कर्मठता और कार्यकुशलता से ये प्रेर्णा देते हैं की सफलता अपने जड़ों को काटकर नहीं मिलती। बल्कि अपनी ज़मीन से जुड़े रहकर अपने जड़ों को सीचकर ही मिलती है।

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