दिल्ली देहात से….

हरीश चौधरी के साथ….

स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के आर्किटेक्ट छात्र द्वारा इंडिया हैबिटेट सेंटर में 19 नवोन्मेषी उत्पादों की प्रदर्शनी – जो प्रेरणा देता है : पिघलती लाइट, पानी साफ करने वाला नाव… छात्रों को भविष्य के भारत की झलक -दिल्ली देहात से

स्कूल ऑफ़ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर इंडस्ट्रियल डिज़ाइन के मुख्य भाग का आनंद NDTV से बात करते हुए कहते हैं, “सारे क्रिएटिव कोज़ छोटे से स्थान में खत्म हो जाते हैं। हम इंडस्ट्री को दिखा सकते हैं कि इन बच्चों की प्रतिभा का आप उपयोग कर सकते हैं। ये उत्पाद नए दस्तावेज हैं, जिनको हम आगे ले जा सकते हैं।”

लगातार 12 घंटे जल सकता है ये बल्ब
पिघलते हुए ‘मेल्टिंग एवरेस्ट’ को हिमालय के रॉक सॉल्ट से बनाया गया है। ये एक लग्जरी लाइट है। इसे अलग-अलग तरह के स्टैंड में डेकोरेटिव लाइट के तौर पर लगाया जा सकता है। ये ठीक वैसे ही पिघलता है, जैसे हिमालय पिघल रहा है। ये वर्ष 2019 में दर्जी को दर्जी भी करता है। 8 किलो का ये सॉल्ट लगातार 12 घंटे जगे रहने पर 1000 घंटा चल सकता है।

एमए फाइनल ईयर के स्टूडेंट एंटरटेनमेंट घोष ने इस बल्ब को तैयार किया है। वह कहती हैं, “लग्जरी प्रदूषण की लाइटिंग है। ये एयर प्यूरिफाई भी करता है। ये हमेशा आपको एहसास दिलाएगा कि हमारा क्लाइमेट चेंज हो रहा है। पर्यावरण में परेशानी आ रही हैं। हिमालय और एवरेस्ट पिघल रहे हैं।”

रैकेट साफ करने वाली नाव
शिवानी कुमारी ने ऐसी नाव तैयार की है, जो नाव के साथ ही पानी का जाम साफ करने में मदद कर सकती है। इस उत्पाद को ‘शुद्ध पानी’ नाम दिया गया है। इसके पहिए में पानी में जुड़ूंगा और इसमें भाग लूंगा।

शिवानी कुमारी बताती हैं, “इसकी साइकिल में एक बार में 50 किलो तक का जाम पकड़ा जा सकता है। इसके बाद इसमें फंसना होगा। इस नाव में एल्गी, छोटे पौधे, तैरते कचरे में भी शामिल हो सकते हैं।

चिड़िया के बच्चे बने ‘नेस्टो केयर’
चिड़िया के घोंसले से उसका बच्चा यानी बेबी वर्ड गिर जाए, इसके लिए भी एक उत्पाद बनाया जाता है। इसका नाम ‘नेस्टो केयर’ रखा गया है। ये डिवाइस बेबी वर्ड की ठीक वैसे ही देखभाल करेगी जैसे उनकी मां घोंसला में करती हैं। इसे बनाने का नागपुर का एक सेंटर आया। यहां रोजाना एक ही सेंटर पर 5 से 6 चिड़ियों के छोटे-छोटे दिखने वाले बच्चे जा रहे हैं।

वंदरारे एमए फाइनल के छात्र ‘नेस्टो केयर’ का प्रतीक बनने वाले हैं। उन्होंने कहा, “ये बेबी बर्ड के लिए एक इनक्यूबेटर है। इसलिए उनकी देखरेख का दावा होता है। जब बेबी बर्ड बीमार होंगे, तो इसका इलाज संभव होगा।”
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टेराकोटा और लकड़ी का नायाब बंधन
इस प्रदर्शनी में आपको एक एक्वा बायो हार्वेस्ट भी देखने को मिलेगा, जो टेराकोटा और वुड से बनी है। इसमें कुछ छोटे छोटे मोहरों का उपयोग किया गया है, जो बड़े काठ काटने के कारण बर्बाद हो जाते हैं। ये पूरी तरह से इको फ्रेंडली है।

इस उत्पादों को पवित्रा केवी बनाया गया है। वह कहती हैं, “ये गर्मी में बहुत गर्म नहीं होती। ठंडे मौसम में ये बहुत ठंड भी नहीं होती। पार्क में लगे स्टील के फर्नीचर, गर्मी में बहुत गर्म हो जाते हैं। थोड़ी देर में ये उतने ही ठंडे हो जाते हैं। इसलिए लोग इसका उपयोग नहीं कर सकता। लेकिन मेरे उत्पादों से ऐसा नहीं होगा।

एक्वा हार्वेस्ट उत्पाद मछली पालने वाले किसानों को ध्यान में रखते हुए बनाए रखा गया है।तालाब में वो मछली के भोजन के लिए एल्गी डालेंगे और इस उत्पाद की मदद से जैविक तेल निकलेगा। यानी…आमदनी का एक नया जरिया। विवेकी रामचंद्रन कहते हैं कि वो केरल से हैं जहां खूब मछली पालन किया जाता है। ये नए उत्पादों की तकनीक उन मछलियों को बिना कुछ पैसे दावा बायो ऑयल की कीमत भी देगी।

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कव्वाली सुनने के लिए कुरसी
एनवायरनमेंट उत्पादों के अलावा यहां कव्वाली सुनने के लिए आरामदायक बैठने वाली कुर्सी भी है। थिरकने वाला सैंड के अंदर गाने का डिवाइस भी मौजूद है। यहां जुंबा डांस के लिए स्प्रिंग वाइब्रेटर मैट भी लगा है। यहां एक ऐसा कुकर भी जो खाने का स्वाद बढ़ाता है, क्योंकि इसमें मिट्टी का इस्तेमाल होता है। शहर में रहने वालों को गांव का अधिकार मिल सकता है।

सेना के लिए विशेष शौचालय
इस प्रदर्शनी में सेना के लिए विशेष शौचालय भी बनाया गया है। इनमें से कई अलग-अलग आकाश गंगाओं के ट्रांसलेंशन की खूबी हैं तो दूसरी तरह की सीमाओं पर निगरानी करने वाले सील्स के लिए हिट पर स्टिकर्स वाली गाड़ी, गारंटी एक जवान या तो ड्राइव करें या फिर उन से कैमरे के जरिए निगरानी करें।

किचन टूल्स भी मौजूद हैं
बच्चों की छोटी उम्र से किचन की एक समझ पैदा हो सकती है ऐसी सामग्री जाली भी है और वाशवास बेसिन भी। कम उम्र के बच्चों के लिए रॉक पेपर सीजर के प्रयोग पर खेल भी हैं। बड़ों के लिए इसी गेम के जरिए ऑफिस में तरोताजा होने से लेकर एक्सरसाइज करने की खूबियां भी यहां मिल जाएंगी। ग्रसित बच्चों के लिए ऐसा डिवाइस जो उन चश्मे, वृत्ताकार और ऑसिलेशन तक गिन सकता है। वहीं, डिजिटल युग का ऐसा खेल जो फील डिजिटल करता है मुमकिन है भौतिक गतिविधियों के माध्यम से ही।

बाइक की सवारी के नमूने पर नमूना
इसलिए ही नहीं, बाइक की सवारी के तर्ज पर तैयार एक ऐसा चित्र जो आराम से बैठने की सुविधा देता है। मानो बाइक सवार हो गया और सवारी लेने वाले को फील और कंफर्ट लेने वाला लगने लगा। यहां, बॉडी ड्रायर भी है, जो त्वचा की बीमारी के लिए काम कर सकता है। इसकी बुकिंग होटल उद्योग में भी मुमकिन है। इसका प्रदर्शन नहाया भी जा सकता है और बिना तौलिये के स्टैंड भी सुखाया जा सकता है।

स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर के औद्योगिक डिजाइन के अदिति सिंह कहते हैं कि इससे बच्चों का मनोबल बढ़ रहा है। उनके तैयार किए गए उत्पाद तो प्रदर्शनी में लोग देखते हैं, इंडस्ट्री भी उत्पाद पसंद करती है तो करार करती है। अच्छे खासे वक्त की ये मेहनत है जिसमें दिल और दिमाग का क्षय इन सभी उत्पादों को परिणाम तक पहुंचता है।

बेशक ये प्रोजेक्ट और उत्पाद इन छात्रों के कोर्स का हिस्सा है। लेकिन ये हमारे भविष्य के लिए भी उतना ही अहम है। इस प्रदर्शनी में आप कल के भारत की तस्वीर आज ही देख सकते हैं।